डिजिटल गोल्ड में निवेश 1 रुपए से शुरू किया जा सकता है, लेकिन इसमें सिर्फ 3% जीएसटी ही नहीं, बल्कि प्लेटफॉर्म फीस, पेमेंट चार्ज और स्टोरेज फीस जैसे छिपे खर्चे भी शामिल होते हैं। निवेश से पहले प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता और सुरक्षा जांचना जरूरी है, क्योंकि फिलहाल इस पर SEBI या RBI का सीधा नियंत्रण नहीं है।
Digital gold: सोने में निवेश के पारंपरिक तरीकों की जगह अब डिजिटल गोल्ड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसमें निवेशक 1 रुपए से भी शुरुआत कर सकते हैं और 24 घंटे कभी भी सोना खरीद-बेच सकते हैं। हालांकि इसमें सिर्फ 3% जीएसटी ही नहीं, बल्कि अन्य छिपे चार्ज जैसे डिस्ट्रीब्यूशन, स्टोरेज और डिलीवरी फीस भी जुड़ी होती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार निवेश से पहले प्लेटफॉर्म की पारदर्शिता, वॉल्ट की सुरक्षा और टैक्स नियमों को समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस पर फिलहाल कोई प्रत्यक्ष नियामक निगरानी नहीं है।
क्या है डिजिटल गोल्ड और क्यों बढ़ रही है इसकी लोकप्रियता
डिजिटल गोल्ड एक ऐसा निवेश विकल्प है जिसमें आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए 24 कैरेट यानी 99.99% शुद्ध सोना खरीद सकते हैं। इसमें किसी मेकिंग चार्ज या वेस्टेज की झंझट नहीं होती। इस सोने को किसी सुरक्षित और बीमित वॉल्ट में रखा जाता है। आप इसे कभी भी ऑनलाइन खरीद या बेच सकते हैं। चाहे आप 1 रुपए का सोना खरीदना चाहें या 10 लाख रुपए का, निवेश की कोई सीमा नहीं है। यही वजह है कि यह छोटे और नए निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
डिजिटल गोल्ड की एक खासियत यह भी है कि इसे 24 घंटे और 7 दिन खरीदा या बेचा जा सकता है। यानी बाजार खुला हो या बंद, आप कभी भी लेनदेन कर सकते हैं। इसके अलावा, चाहें तो आप बाद में फिजिकल गोल्ड के रूप में इसकी डिलीवरी भी ले सकते हैं, जैसे कि सिक्के या गोल्ड बार।
सिर्फ जीएसटी ही नहीं, और भी हैं छिपे हुए खर्चे
अक्सर लोग यह सोचते हैं कि डिजिटल गोल्ड खरीदने पर सिर्फ 3% जीएसटी देना पड़ता है। लेकिन हकीकत यह है कि इसके अलावा भी कई तरह के छिपे हुए खर्चे होते हैं। इनमें प्लेटफॉर्म डिस्ट्रीब्यूशन फीस, यूपीआई या पेमेंट गेटवे चार्ज, स्टोरेज और कस्टडी फीस, और डिलीवरी चार्ज शामिल होते हैं।
शुरुआत में ये खर्चे बहुत कम लग सकते हैं, लेकिन अगर आप लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं तो यह आपके कुल रिटर्न पर असर डाल सकते हैं। इसलिए डिजिटल गोल्ड खरीदने से पहले इन सभी चार्जेज के बारे में पूरी जानकारी लेना जरूरी है। कई बार प्लेटफॉर्म इन शुल्कों का खुलासा बहुत बारीकी से करता है, जिसे निवेशक ध्यान नहीं देते।
आपके डिजिटल सोने की सुरक्षा कितनी पक्की है

डिजिटल गोल्ड की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस प्लेटफॉर्म से निवेश कर रहे हैं। कुछ कंपनियां अपने वॉल्ट्स की थर्ड पार्टी से नियमित ऑडिट कराती हैं और रिपोर्ट को सार्वजनिक करती हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। वहीं, कुछ प्लेटफॉर्म ऐसे हैं जो अपनी स्टोरेज डिटेल्स या ऑडिट रिपोर्ट शेयर नहीं करते।
इसलिए किसी भी प्लेटफॉर्म पर निवेश करने से पहले उसकी विश्वसनीयता, सुरक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता की जांच जरूर करनी चाहिए। यह भी देखें कि कंपनी का वॉल्ट पार्टनर कौन है और क्या वह सरकार से मान्यता प्राप्त संस्था है या नहीं।
छोटे निवेशकों के लिए आसान विकल्प
डिजिटल गोल्ड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें आप बहुत छोटी रकम से भी शुरुआत कर सकते हैं। अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं और ज्यादा पूंजी नहीं लगाना चाहते, तो सिर्फ 1 रुपए या 10 रुपए से भी शुरुआत कर सकते हैं। कई प्लेटफॉर्म एसआईपी यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की सुविधा भी देते हैं, जिसमें आप हर महीने तय राशि निवेश कर सकते हैं।
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के लिए किसी डिमैट अकाउंट की भी जरूरत नहीं होती। आप सिर्फ मोबाइल ऐप या वेबसाइट के जरिए कुछ ही मिनटों में अपना खाता खोलकर निवेश शुरू कर सकते हैं। यह सुविधा खासकर युवा और नए निवेशकों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रही है।
टैक्स और नियमों की जानकारी जरूरी
फिलहाल डिजिटल गोल्ड पर न तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का और न ही सेबी (SEBI) का सीधा रेगुलेशन लागू होता है। हालांकि, इस पर टैक्स के नियम तय हैं। हर खरीद पर आपको 3% जीएसटी देना होता है। अगर आप इसे तीन साल के अंदर बेचते हैं, तो जो भी मुनाफा होगा उस पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
वहीं, अगर आप तीन साल के बाद डिजिटल गोल्ड बेचते हैं, तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। ऐसे में मुनाफे पर 20% टैक्स देना होगा, लेकिन इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा।













