राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना को लेकर दिए गए बयान पर सियासी घमासान मच गया है। अब इस मामले में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की भी प्रतिक्रिया सामने आई है।
UP Politics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की वकालत करने के बाद राजनीतिक हलकों में जबरदस्त हलचल मच गई है। इस मुद्दे पर अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है।
मायावती ने साफ शब्दों में कहा कि भारतीय संविधान की मूल आत्मा को प्रस्तावना में प्रतिबिंबित किया गया है और उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, समय-समय पर संविधान में कई गैरजरूरी परिवर्तन हुए हैं, लेकिन प्रस्तावना में बदलाव देश की मूल भावना पर हमला है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
संविधान की प्रस्तावना में बदलाव को बताया खतरनाक
मायावती ने कहा कि संविधान बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की सोच और मेहनत का प्रतीक है, और इसमें की गई किसी भी छेड़छाड़ को दलित, पिछड़े और गरीब समाज कभी स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना था कि “यह केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की दिशा और दर्शन को तय करते हैं। बीएसपी सुप्रीमो ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों पार्टियों ने संविधान को लेकर दोहरा रवैया अपनाया है। मायावती ने कहा, दोनों पार्टियों के दिल में कुछ और और जुबान पर कुछ और होता है, ये संविधान की मूल भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं।
भाषा के नाम पर राजनीति पर भी बोला हमला
मायावती ने संविधान के सवाल पर बात करते हुए देश के अलग-अलग राज्यों में भाषा को लेकर हो रही राजनीति पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, देश के कई राज्यों में भाषा के नाम पर राजनीति ठीक नहीं है, सभी भाषाओं को समान सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकारों और राजनीतिक दलों से अपील की कि वे भाषा और क्षेत्रीय पहचान के आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश न करें।
बिहार में वोटर लिस्ट से जुड़े विवाद पर भी मायावती ने चुनाव आयोग से सफाई की मांग की। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को लोगों का विश्वास जीतना चाहिए और पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए। उनका कहना था कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह का संदेह देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा।
संविधान विरोधी चेहरा नहीं बदला तो सड़कों पर उतरेंगे - मायावती
मायावती ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर कोई संविधान की प्रस्तावना से छेड़छाड़ की कोशिश करता है तो उनकी पार्टी चुप नहीं बैठेगी। अगर ये संविधान विरोधी चेहरा नहीं बदलेंगे तो हमें आना पड़ेगा, जनता की आवाज बुलंद करनी पड़ेगी, मायावती ने दो टूक कहा। साथ ही उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा पर भी चिंता जाहिर की। मायावती ने कहा कि बंगाल जैसे राज्यों में महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है, वहां उनकी सुरक्षा खतरे में है और सरकारें केवल दिखावा कर रही हैं।
दरअसल, आरएसएस के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने 27 जून को दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाए जाने चाहिए। उनका तर्क था कि 1975 में आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन से जोड़े गए ये शब्द कृत्रिम हैं और भारतीय संस्कृति तथा परंपराओं में इनकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इन शब्दों की वजह से संविधान की वास्तविक भावना में विकृति आई है।
राजनीति में फिर गरमा सकता है माहौल
दत्तात्रेय होसबोले के बयान के बाद विपक्षी दलों को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। खासतौर पर मायावती का यह कड़ा बयान आने के बाद माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में संविधान की प्रस्तावना को लेकर विपक्षी एकजुटता और हमलावर हो सकती है। मायावती की टिप्पणी से साफ है कि बीएसपी इस संवैधानिक मुद्दे को लेकर देशभर में अपनी आवाज उठाएगी और आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में भी इसे एक अहम चुनावी मुद्दा बना सकती है।