संयुक्त राष्ट्र स्थित भारत के स्थायी मिशन ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में वार्षिक हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के नेता पीपी चौधरी ने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारत की भावना, पहचान और एकता का प्रतीक है।
न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह में सांसद पीपी चौधरी ने हिंदी को भारत की भावना, पहचान और एकता का प्रतीक बताते हुए उसकी वैश्विक महत्ता पर जोर दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि वह सूत्र है जो पूरे देश को उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक जोड़ता है।
चौधरी ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि 60 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं और यह भाषा आज वैश्विक स्तर पर समुदायों और संस्कृतियों को जोड़ने का माध्यम बन चुकी है। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में भी हिंदी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और यह वैश्विक संचार की भाषा के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है।
हिंदी का वैश्विक प्रभाव
सांसद पीपी चौधरी ने समारोह में कहा,
'हिंदी न केवल भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान है, बल्कि अब यह दुनिया भर के लोगों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुकी है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षा का प्रचलन बढ़ रहा है।'
उन्होंने अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों का उदाहरण देते हुए कहा कि हार्वर्ड, कोलंबिया, कार्नेल, शिकागो और टेक्सास जैसे संस्थानों में हिंदी की पढ़ाई की जाती है। इसके अलावा, अमेरिका में बड़ी संख्या में हिंदी भाषी लोग रहते हैं, जो अपनी सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को जीवित रख रहे हैं।
संसदीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा और योगदान
सांसद चौधरी के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल 8 से 14 अक्टूबर 2025 तक न्यूयॉर्क की आधिकारिक यात्रा पर है। इस यात्रा का उद्देश्य भारत की भाषाई विविधता और हिंदी की वैश्विक भूमिका को संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने प्रस्तुत करना है। चौधरी ने कहा, हिंदी का वैश्विक प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह दुनिया भर के समुदायों को जोड़ने का एक माध्यम बन चुकी है। हमारे देश की विविध भाषाई संस्कृति में हिंदी ने विशेष स्थान बनाया है और अब यह डिजिटल और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी पहचान मजबूत कर रही है।
इस वार्षिक हिंदी दिवस समारोह में भारत के संसद सदस्यों के साथ-साथ दुनिया भर के स्थायी प्रतिनिधियों, उप-स्थायी प्रतिनिधियों, राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सभी ने हिंदी के वैश्विक महत्व और इसके सांस्कृतिक योगदान की सराहना की। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने भी भाषाई विविधता पर जोर देते हुए कहा कि, भारत में 22 संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएं और हजारों बोलियां हैं, लेकिन हिंदी ने हमारे देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता में विशेष योगदान दिया है।
हिंदी: भारत की पहचान और वैश्विक संदेश
पीपी चौधरी ने जोर देकर कहा कि हिंदी न केवल साहित्य, संस्कृति और मीडिया में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक संवाद और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। उन्होंने कहा, हिंदी विश्व स्तर पर भारत की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को प्रदर्शित करने का एक सशक्त माध्यम बन गई है। यह भाषा लोगों को जोड़ती है और भारत की विविधता में एकता का संदेश देती है।
हिंदी दिवस समारोह का आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब भारत की भाषाई धरोहर और सांस्कृतिक प्रभाव को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ावा देने की पहल तेजी से हो रही है। इससे न केवल भारतीय समुदाय बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी हिंदी और भारत की संस्कृति के महत्व को समझ रहा है।