दिवाली का त्योहार 2025 में 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार बच्चों और युवाओं के लिए खुशखबरी हो सकती है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि बच्चों को पर्यावरण अनुकूल ग्रीन पटाखों के साथ दीवाली मनाने की अनुमति दी जाए।
नई दिल्ली: भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में दीवाली का त्योहार 20 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। दिवाली के मौके पर बच्चों को पटाखे जलाने का खास शौक होता है। हालांकि, पिछले कुछ समय से पटाखों के कारण प्रदूषण में काफी इजाफा हुआ है। इस वजह से पटाखे जलाने पर पाबंदियां और नियम लगाए गए हैं।
अब केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी अपील की है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह मांग रखी है कि बच्चों को ‘ग्रीन पटाखों’ के साथ दीवाली मनाने की अनुमति दी जाए, ताकि त्योहार का आनंद लेते हुए प्रदूषण पर भी नियंत्रण रखा जा सके।
सरकार की मांग
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि त्योहारों पर पटाखे फोड़ने के समय में थोड़ी ढील दी जाए ताकि बच्चे पूरी खुशी और उत्साह के साथ दिवाली मना सकें। सरकार ने कहा कि ग्रीन पटाखे प्रदूषण को काफी हद तक कम करते हैं और इनका उपयोग पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। सरकार ने कोर्ट से सुझाव दिया है कि:
- क्रिसमस और न्यू ईयर की रात को 11:45 PM से 12:30 AM तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जाए।
- गुरुपुरब पर एक घंटे के लिए पटाखे जलाए जा सकें।
- अन्य मौकों पर सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक केवल ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जा सके।
- सरकार का मुख्य तर्क है कि बच्चों को त्योहारों का आनंद लेने का पूरा अधिकार होना चाहिए, लेकिन इसके साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के संबंध में फिलहाल अपना आदेश सुरक्षित रखा है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने ग्रीन पटाखों को मंजूरी देने के संकेत दिए और सवाल उठाया कि क्या 2018 से 2024 के बीच वायु प्रदूषण में कोई सुधार हुआ है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण का स्तर लगभग समान रहा है। केवल कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन के समय AQI में सुधार देखा गया था।
पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी पेश किया। इसमें कहा गया कि नीरी (NIRL) के पास ग्रीन पटाखों के निर्माण और निगरानी का तंत्र है, लेकिन कोई स्पष्ट निगरानी तंत्र नहीं मौजूद है।
ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में प्रदूषण कम करते हैं। इनमें धुआं, रासायनिक तत्व और हानिकारक गैसों का स्तर कम होता है, जिससे वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर कम होता है। केंद्र सरकार का कहना है कि इन पटाखों को त्योहारों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि पर्यावरण संरक्षण और बच्चों की खुशी दोनों को संतुलित किया जा सके।