पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने गहरा शोक जताया। सभी नेताओं ने उन्हें निडर, सच्चे और किसान हितैषी नेता के रूप में याद किया।
Satyapal Malik Death: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन की खबर सामने आते ही राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। 79 वर्षीय मलिक का मंगलवार दोपहर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके निजी सचिव के.एस. राणा ने जानकारी दी कि उन्होंने दोपहर 1.10 बजे अंतिम सांस ली।
राहुल गांधी ने बताया 'निडर होकर सच बोलने वाला व्यक्ति'
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मलिक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें साहसी और सच्चाई के पक्ष में खड़े रहने वाला नेता बताया। उन्होंने लिखा, "पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के निधन की खबर सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है। मैं उन्हें हमेशा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद रखूंगा, जिन्होंने अपने अंतिम समय तक निडर होकर सच बोला और लोगों के हितों की वकालत की।"
खड़गे ने कहा- सत्ता से सच कहने वाले थे मलिक
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सोशल मीडिया पर शोक जताते हुए लिखा कि सत्यपाल मलिक ने निडरता से सत्ता में बैठे लोगों को सच का आईना दिखाने का काम किया। उन्होंने कहा कि मलिक किसानों के पक्ष में खुलकर बोलने वाले नेता थे और उनका जाना एक साहसी आवाज का जाना है।
प्रियंका गांधी ने जताया दुख
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "देश के किसानों की मुखर आवाज़ और पूर्व राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। शोक संतप्त परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।"
राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से
सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1965-66 में की थी। उन्होंने मेरठ कॉलेज और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (तत्कालीन मेरठ विश्वविद्यालय) के छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। डॉ. राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने राजनीति में कदम रखा और शुरुआती दौर में ही अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया।
अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे
अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे। यही वह समय था जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। इस ऐतिहासिक निर्णय के दौरान मलिक की भूमिका काफी चर्चित रही।
सत्यपाल मलिक का विचारधारा से हटकर बोलना रहा केंद्र में
राजनीतिक गलियारों में सत्यपाल मलिक को एक ऐसे नेता के रूप में देखा गया जो सत्ता की परवाह किए बिना, अपने मन की बात खुलकर कहते थे। वे कई बार सरकार की नीतियों की आलोचना करते नजर आए, खासतौर पर किसानों के मुद्दों पर। उन्होंने केंद्र सरकार को कई बार कृषि कानूनों और किसानों की समस्याओं पर कठघरे में खड़ा किया।
किसानों की समस्याओं के रहे प्रखर समर्थक
सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन के समय खुलकर किसानों का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि अगर किसानों की बात नहीं सुनी गई, तो वे लंबे समय तक संघर्ष करते रहेंगे। इस बयान के बाद वे भाजपा की आलोचना का भी शिकार हुए, लेकिन उन्होंने अपने विचारों से पीछे नहीं हटे।