त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक, अपनी तंत्र साधना और आस्था के लिए प्रसिद्ध है। माता का रूप दिन में तीन बार बदलता है। वर्ष 2025 में नवरात्रि के पहले दिन, 22 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुनर्विकास के बाद मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा।
Tripura Sundari Mandir: त्रिपुरा मंदिर, जो भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है, त्रिपुरा के उदयपुर के पास स्थित है। यह मंदिर माता सती के दाहिने पैर की अंगुलियों के निशान वाले स्थान पर बना है और तंत्र साधना का केंद्र भी है। माता का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है बाल, युवती और परिपक्व रूप। दीपावली और नवरात्रि में भव्य मेला लगता है। वर्ष 2025 में 22 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुनर्विकास और सौंदर्यीकरण के बाद मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा।
मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती के दाहिने पैर की अंगुलियों के निशान आज भी विद्यमान हैं। यही कारण है कि यह मंदिर शक्तिपीठों में प्रमुख माना जाता है। प्रत्येक शक्तिपीठ उसी स्थान पर स्थापित किया गया है, जहां माता सती का कोई अंग गिरा था। त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य के शासनकाल में 1501 ईस्वी के दौरान किया गया था। मंदिर में श्रद्धालुओं की हमेशा भीड़ लगी रहती है और लोग माता सती के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।
मां त्रिपुरा सुंदरी का स्वरूप अत्यंत चमत्कारी माना जाता है। यहां यह मान्यता है कि माता का रूप दिन में तीन बार बदलता है। प्रातःकाल में माता कुमारिका यानी बाल रूप में, मध्याह्न में यौवना यानी युवती रूप में और सायंकाल में प्रौढ़ा यानी परिपक्व रूप में दिखाई देती हैं। यही कारण है कि इन्हें त्रिपुरा सुंदरी कहा जाता है।
देवी का अद्भुत स्वरूप
मां त्रिपुरा सुंदरी 18 भुजाओं वाली हैं, जिनमें दुर्गा के नौ रूप अंकित हैं। मां सिंह, मयूर और कमल पर विराजमान हैं। यहां यह मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से भक्तों के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। मंदिर की पवित्रता और आस्था का वातावरण इसे भक्तों के लिए विशेष बनाता है।
तंत्र साधना में महत्व
त्रिपुरा सुंदरी देवी को दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या माना जाता है। इन्हें तांत्रिक साधना की प्रमुख देवी भी कहा जाता है। त्रिपुरा सुंदरी का अर्थ है तीन लोकों की सुंदरी। इस मंदिर में तंत्र साधना का विशेष महत्व है। साधक यहां श्रीविद्या उपासना के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति करते हैं। मंदिर का वातावरण साधकों के लिए प्रेरणादायक और ध्यान केंद्रित करने वाला होता है।
मंदिर का पुनर्विकास और उद्घाटन
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर को हाल ही में पुनर्विकास और सौंदर्यीकरण का काम पूरा किया गया है। इस भव्य मंदिर का उद्घाटन 22 सितंबर, 2025 को नवरात्रि के पहले दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। यह मंदिर अब काशी और राम जन्मभूमि मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। उद्घाटन के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना है।
मेले और त्योहार
दीपावली के दौरान त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में भव्य मेला आयोजित किया जाता है। इस मेला में लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं और माता की पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर का यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।