अमेरिकी कंजरवेटिव युवा नेता और ट्रंप के करीबी चार्ली किर्क की यूटा में डिबेट के दौरान गोली मारकर हत्या हो गई। उनकी मौत से अमेरिकी राजनीति सदमे में है और freedom of speech पर नए सवाल खड़े हो गए हैं।
US News: अमेरिका इन दिनों एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक झटके से गुजर रहा है। वजह है चार्ली किर्क की हत्या, जो कंजरवेटिव (रूढ़िवादी) युवाओं के सबसे बड़े हीरो और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेहद करीबी माने जाते थे। यूटा वैली विश्वविद्यालय में आयोजित एक कॉलेज फेस्ट के दौरान जब किर्क मंच पर बोल रहे थे और छात्रों को बहस के लिए आमंत्रित कर रहे थे, तभी अचानक गोली चली और उनकी मौत हो गई।
यह घटना केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए चौंकाने वाली है क्योंकि चार्ली किर्क पिछले एक दशक से अमेरिकी राजनीति के सबसे मुखर युवा चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान सिर्फ एक नेता के रूप में नहीं थी बल्कि वे उन कंजरवेटिव मूल्यों के प्रवक्ता भी थे, जिन पर रिपब्लिकन पार्टी का बड़ा हिस्सा खड़ा है।
अमेरिकी राजनीति का बड़ा चेहरा बने चार्ली किर्क
चार्ली किर्क का जन्म शिकागो के उपनगरीय इलाके में हुआ था। बचपन से ही उनमें राजनीति के प्रति गहरी रुचि थी, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने किसी विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं की। इसके बावजूद उन्होंने किशोरावस्था से ही खुद को सक्रियता और राजनीतिक विचारधारा के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया।
वे जल्दी ही रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक जाना-माना चेहरा बन गए। चार्ली ने उस दौर में अपनी पहचान बनाई जब अमेरिका की राजनीति में युवा आवाजें कम सुनी जाती थीं। उनकी सबसे बड़ी ताकत यह थी कि वे युवाओं से सीधी बातचीत करते थे और कॉलेज कैंपस से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे।
टर्निंग प्वाइंट यूएस की स्थापना
साल 2012 में, जब चार्ली केवल 18 साल के थे, तब उन्होंने Turning Point USA की स्थापना की। यह संगठन अमेरिकी कॉलेज कैंपस में रूढ़िवादी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। एक दशक के भीतर यह संगठन इतना लोकप्रिय हो गया कि हर बड़े राजनीतिक मुद्दे पर उसकी आवाज सुनी जाने लगी। टर्निंग प्वाइंट यूएस ने युवाओं में कंजरवेटिव मूवमेंट को मजबूत किया और इसे मुख्यधारा की राजनीति से जोड़ा।
इसके अलावा, चार्ली ने Turning Point Action की भी शुरुआत की, जिसे 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने ‘door-to-door campaigning’ यानी घर-घर जाकर वोट मांगने के अभियान की जिम्मेदारी दी। यह उनके और ट्रंप परिवार के बीच गहरे रिश्ते की एक बड़ी मिसाल थी।
डोनाल्ड ट्रंप के बेहद करीबी
चार्ली किर्क का नाम डोनाल्ड ट्रंप के साथ अक्सर लिया जाता रहा है। वे ट्रंप के राजनीतिक एजेंडे के मुखर समर्थक थे और उनके कार्यक्रमों में हमेशा नजर आते थे। बताया जाता है कि 2016 तक चार्ली किर्क ट्रंप के बेटे, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के निजी सहायक के तौर पर भी काम कर चुके थे।
यही वजह थी कि ट्रंप परिवार उन्हें न सिर्फ एक सहयोगी बल्कि एक विश्वसनीय साथी भी मानता था। ट्रंप ने उनकी मौत के बाद जारी बयान में कहा कि चार्ली ने अपना जीवन अमेरिकी मूल्यों— अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नागरिकता, कानून के शासन और ईश्वर के प्रति समर्पण—के लिए समर्पित कर दिया। यही वे मूल्य हैं जिनके लिए वे जिए और जिनके लिए उन्होंने अपनी जान दी।
विवादों से भी रहा नाता
चार्ली किर्क का सफर केवल प्रशंसा तक सीमित नहीं था। वे अक्सर विवादों में भी रहे। 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने ट्रंप के उस दावे का समर्थन किया था जिसमें कहा गया था कि चुनावों में धांधली हुई। इसके अलावा उन्होंने ट्रांसजेंडर अधिकारों और प्रवासियों पर भी कई बार कड़े और विवादित बयान दिए, जिससे वे आलोचना के घेरे में आ गए।
कैसे हुई हत्या
बुधवार को यूटा वैली विश्वविद्यालय में आयोजित एक कॉलेज फेस्ट में चार्ली किर्क छात्रों को संबोधित कर रहे थे। वे हमेशा की तरह युवाओं को मंच पर आकर बहस करने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। इस दौरान बहस तीखी भी हुई और माहौल गरमा गया। अचानक भीड़ में से किसी ने गोली चला दी जो उनकी गर्दन पर लगी। गोली लगते ही चार्ली गिर पड़े और अस्पताल ले जाने के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
युवाओं का हीरो क्यों माने जाते थे चार्ली
चार्ली किर्क को अमेरिकी कंजरवेटिव युवाओं का हीरो कहा जाता था। वे उन कुछ चेहरों में से थे जो कॉलेज कैंपस में जाकर सीधे छात्रों से संवाद करते थे। उनका अंदाज ऐसा था कि वे युवाओं को खुद से जोड़ लेते थे। बहस के दौरान वे छात्रों को खुलकर चुनौती देते थे और यही वजह थी कि उनकी कई वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती थीं।
उनके समर्थकों का मानना था कि चार्ली ने कंजरवेटिव मूवमेंट को नई ऊर्जा दी और इसे युवा पीढ़ी से जोड़ा। वे हमेशा कहते थे कि “युवाओं को राजनीति से दूर नहीं रहना चाहिए क्योंकि वही भविष्य को दिशा देंगे।”