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Vastu Tips for Kitchen: किचन की गलत दिशा से घर में कैसे बढ़ती हैं समस्याएं और आर्थिक नुकसान

Vastu Tips for Kitchen: किचन की गलत दिशा से घर में कैसे बढ़ती हैं समस्याएं और आर्थिक नुकसान

वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोईघर (किचन) घर की ऊर्जा और समृद्धि का केंद्र है। अगर किचन गलत दिशा में हो, तो यह परिवार में कलह, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं और आर्थिक नुकसान ला सकता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि दक्षिण-पूर्व दिशा में रसोई बनाना और खाना बनाते समय मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रखना शुभ रहता है।

Vastu Tips: खुशहाली और आर्थिक समृद्धि का केंद्र माना जाता है। अगर किचन उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम दिशा में हो, तो अग्नि तत्व असंतुलित होता है, जिससे परिवार में कलह, मानसिक तनाव और धन की हानि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। दक्षिण-पूर्व दिशा में रसोई बनाना और खाना बनाते समय मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रखना शुभ माना जाता है।

अग्नि तत्व और रसोई की दिशा

वास्तु शास्त्र के पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के अनुसार रसोई ‘अग्नि तत्व’ का स्थान है। इसका सबसे शुभ स्थान आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) माना गया है, क्योंकि यह अग्नि देवता को समर्पित है। जब रसोई इस दिशा में होती है, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और गर्माहट तथा सुख-समृद्धि का प्रवाह होता है।

गलत दिशा में रसोई (जैसे उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम) अग्नि तत्व का असंतुलन पैदा करती है। उदाहरण के लिए, उत्तर-पूर्व दिशा जल तत्व का क्षेत्र है। यहां रसोई होने से अग्नि और जल का टकराव होता है, जिससे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

परिवार में कलह और स्वास्थ्य पर असर

तत्वों के असंतुलन के कारण घर के सदस्यों, विशेषकर महिलाओं में चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ता है। इससे बिना वजह के झगड़े और मनमुटाव बढ़ते हैं, जो घर की शांति को भंग कर देते हैं। गलत दिशा में बनी रसोई महिलाओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे पाचन संबंधी रोग और मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।

धन और समृद्धि पर असर

रसोई को अन्नपूर्णा का स्थान और भंडार गृह माना जाता है। इसका संबंध सीधे घर की आय और आर्थिक समृद्धि से जुड़ा है। उत्तर दिशा में रसोई होने से आग और जल तत्व का टकराव होता है, जिससे अनावश्यक खर्च बढ़ते हैं, धन की हानि होती है और कर्ज की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

खाना बनाते समय दिशा का महत्व

वास्तु के अनुसार, खाना बनाते समय गृहिणी का मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण या पश्चिम की ओर मुख करके खाना बनाना अशुभ माना जाता है। दक्षिण दिशा में मुख करने से वित्तीय समस्याएं बढ़ती हैं, जबकि पश्चिम दिशा में मुख करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।

मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता

रसोई की गलत दिशा से उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा पूरे परिवार के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। उत्तर-पश्चिम दिशा में बनी रसोई पुरुष सदस्यों के जीवन में बाधाएं और करियर संबंधी समस्याएं ला सकती है। नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से सदस्यों का मन एकाग्र नहीं रह पाता, छात्रों का मानसिक विकास प्रभावित होता है और घर में हमेशा तनाव का माहौल बना रहता है।

सही दिशा में रसोई बनाना क्यों जरूरी

वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि सही दिशा में रसोई घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करती है। दक्षिण-पूर्व दिशा में रसोई बनाना घर में स्वास्थ्य, खुशहाली और आर्थिक स्थिरता लाता है। साथ ही, परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध मजबूत होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

कैसे रखें ध्यान

  • रसोई का मुख्य फोकस आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) पर रखें।
  • खाना बनाते समय मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रखें।
  • रसोई में पानी की टंकी या सिंक को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें।
  • भारी उपकरण जैसे रेफ्रिजरेटर या माइक्रोवेव को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें।
  • नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए रसोई में हमेशा साफ-सफाई और प्राकृतिक रोशनी का ध्यान रखें।

किचन का वास्तु अनुसार सही दिशा में होना सिर्फ पारिवारिक स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति के लिए नहीं, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा, आपसी समझ और सुख-शांति के लिए भी बेहद जरूरी है। गलत दिशा में रसोई होने से कलह, तनाव और धन संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसलिए नए घर की योजना बनाते समय या रसोई का रिनोवेशन करते समय वास्तु के नियमों का पालन करना आवश्यक है।

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