ओवैसी ने सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने पीएम मोदी से अपील की कि सभी पार्टी नेताओं को बैठक में बुलाया जाए, चाहे उनके सांसद कितने भी हों।
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था ताकि हमले से जुड़ी जानकारी साझा की जा सके और सभी पक्षों के विचार लिए जा सकें। इस मीटिंग की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसमें हिस्सा लिया। लेकिन इस बैठक में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को न बुलाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है।
ओवैसी की नाराजगी: 'क्या प्रधानमंत्री 1 घंटा नहीं दे सकते?'
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा कि उन्हें इस महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक में नहीं बुलाया गया, जो कि देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने इस फैसले पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि,"ये बीजेपी की या किसी एक पार्टी की बैठक नहीं है, ये पूरे देश के राजनीतिक दलों की बैठक है।"
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा,"क्या प्रधानमंत्री मोदी सभी पार्टियों को सुनने के लिए सिर्फ एक घंटा एक्स्ट्रा नहीं दे सकते? आखिरकार, चाहे किसी पार्टी के पास एक सांसद हो या सौ, वो जनता द्वारा चुने गए हैं।"
किरेन रिजिजू से फोन पर बातचीत
ओवैसी ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से इस मुद्दे पर फोन पर बात की थी। रिजिजू ने उन्हें बताया कि मीटिंग में उन्हीं पार्टियों को बुलाया जा रहा है जिनके पास कम से कम 5 से 10 सांसद हैं। इस पर ओवैसी ने नाराज़गी जताते हुए पूछा कि कम सांसदों वाली पार्टियों को क्यों नजरअंदाज़ किया जा रहा है।
ओवैसी के मुताबिक, जब उन्होंने सवाल किया कि "हमारा क्या?", तो रिजिजू ने मजाक में जवाब दिया, "आपकी आवाज वैसे भी बहुत तेज़ है।"
ओवैसी का प्रधानमंत्री से अनुरोध
ओवैसी ने इस विषय को राजनीति से अलग एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे इस बैठक को एक सच्ची सर्वदलीय बैठक बनाएं और सभी पार्टियों को आमंत्रित करें। उन्होंने कहा,
"ये राजनीति नहीं है, ये भारत की सुरक्षा का सवाल है। हर पार्टी को इसमें बोलने का हक है।"
सर्वदलीय बैठक का उद्देश्य
देश में जब भी कोई बड़ा आतंकी हमला या सुरक्षा संकट होता है, तो सरकार सभी पार्टियों को एक मंच पर लाकर चर्चा करती है। इसका उद्देश्य होता है राष्ट्रीय एकता दिखाना और सभी राजनीतिक दलों की राय लेना। इससे पहले भी पुलवामा हमला (2019) और भारत-चीन तनाव (2020) जैसे मुद्दों पर ऐसी बैठकें बुलाई गई थीं।