अल्कलाइन वॉटर को कैंसर रोकने वाला जादुई ड्रिंक बताना मिथक है। रिसर्च बताती है कि यह केवल पेट की एसिडिटी में अस्थायी राहत दे सकता है, लेकिन शरीर का ब्लड pH या कैंसर पर कोई प्रभाव नहीं डालता। अत्यधिक सेवन हानिकारक भी हो सकता है।
Alkaline Water: अल्कलाइन वॉटर को कैंसर रोकने और स्वास्थ्य सुधारने वाला जादुई ड्रिंक बताना वैज्ञानिक दृष्टि से गलत है। भारत और विश्वभर में इसे स्वास्थ्य लाभ देने वाला बताया जाता है, लेकिन रिसर्च के अनुसार इसका असर केवल पेट की एसिडिटी पर अस्थायी होता है। शरीर का ब्लड pH स्थिर रहता है और अल्कलाइन पानी इसे नहीं बदल सकता। अत्यधिक सेवन से अल्कलोसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इसे स्वस्थ जीवनशैली के हिस्से के रूप में केवल सीमित मात्रा में ही लेना सुरक्षित है।
अल्कलाइन वॉटर क्या है?
अल्कलाइन वॉटर वह पानी होता है जिसका pH स्तर सामान्य पानी (pH 7) से अधिक, यानी 8 या उससे ऊपर होता है। इसका दावा है कि यह शरीर को अल्कलाइन बनाकर स्वास्थ्य को बेहतर करता है। जबकि वैज्ञानिकों के अनुसार शरीर का ब्लड pH लगभग 7.35 से 7.45 के बीच रहता है और यह बैलेंस प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित होता है। खाने-पीने से इसका असर ज्यादा नहीं पड़ता।
अल्कलाइन वॉटर का असली फायदा यह है कि यह पेट की एसिडिटी या रिफ्लक्स को थोड़ी देर के लिए कम कर सकता है। कुछ लोगों को इससे अस्थायी राहत मिलती है, लेकिन यह असर स्थायी नहीं होता।
क्या अल्कलाइन वॉट कैंसर रोक सकता है?
1930 के दशक में वैज्ञानिक ओटो वॉरबर्ग ने पाया था कि कैंसर कोशिकाएं ऑक्सीजन की कमी और एसिडिक वातावरण में अधिक पनपती हैं। इसके बाद यह भ्रम फैल गया कि अगर शरीर को अल्कलाइन किया जाए तो कैंसर रुक जाएगा।
लेकिन वास्तविकता यह है कि कैंसर कोशिकाएं खुद अपने आस-पास का माहौल एसिडिक बनाती हैं। शरीर का ब्लड pH खाने-पीने से इतना बदलता नहीं कि यह कैंसर को रोक सके। कई रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ कि अल्कलाइन वॉटर पीने से ब्लड pH पर कोई महत्वपूर्ण असर नहीं पड़ता।
कुल मिलाकर, अल्कलाइन वॉटर से कैंसर का इलाज या रोकथाम संभव नहीं है। इसे पीना सुरक्षित है, लेकिन इसे जादुई इलाज मानना वैज्ञानिक रूप से गलत है।
- pH स्केल और अल्कलाइन पानी
- pH स्केल 0 से 14 तक होता है।
- 0-6 = एसिडिक
- 7 = न्यूट्रल (साधारण पानी)
- 8-14 = अल्कलाइन
अल्कलाइन वॉटर का pH स्तर सामान्य पानी से अधिक होता है। इसके सेवन का असर कुछ हद तक पेशाब के pH को बदल सकता है, लेकिन शरीर का ब्लड pH लगातार नियंत्रित रहता है। इसलिए कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए इसका कोई प्रभाव नहीं माना गया है।
ज्यादा अल्कलाइन होना भी नुकसानदायक
वैज्ञानिकों का कहना है कि अत्यधिक अल्कलाइन होने से शरीर में "अल्कलोसिस" जैसी समस्या हो सकती है। इसमें शरीर का प्राकृतिक बैलेंस बिगड़ जाता है। अल्कलाइन शरीर में एंज़ाइम्स सही ढंग से काम नहीं करते, ऑक्सीजन टिश्यू तक नहीं पहुंचती, और पोटैशियम-कैल्शियम जैसे जरूरी मिनरल्स असंतुलित हो जाते हैं।
इसके संभावित लक्षण हैं:
- मांसपेशियों में खिंचाव
- झुनझुनी और कमजोरी
- उल्टी और चक्कर
- गंभीर मामलों में हार्टबीट में समस्या या दौरा
इसलिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि अल्कलाइन वॉटर कोई सुपरड्रिंक नहीं है।
अल्कलाइन वॉटर का वास्तविक उपयोग
अल्कलाइन वॉटर पीने से कुछ लोगों को हल्की एसिडिटी या रिफ्लक्स में राहत मिल सकती है। यह शरीर को हाइड्रेट करता है, लेकिन साधारण पानी भी यह काम अच्छे से करता है। इसके अलावा कोई विशेष लाभ, जैसे लंबी उम्र या कैंसर रोकना, वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं है।
अल्कलाइन वॉटर पीने से कैंसर या अन्य गंभीर बीमारियों से सुरक्षा नहीं मिलती। यह केवल एक मिथक है जो मार्केटिंग और सोशल मीडिया के जरिए फैलाया गया। हल्की एसिडिटी में यह अस्थायी राहत दे सकता है, लेकिन इसे स्वास्थ्य का जादुई उपाय मानना गलत होगा।