1 सितंबर को अफगानिस्तान के नंगरहर में 6.0 तीव्रता के भूकंप से 622 मौतें हुईं और 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए। तालिबान सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने राहत कार्य शुरू किया।
Afghanistan Earthquake: 1 सितंबर 2025 की रात अफगानिस्तान के पूर्वी नंगरहर प्रांत में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने चारों ओर तबाही मचा दी। रात 11:47 बजे आए इस भूकंप ने मिनटों में सैकड़ों लोगों की जान ले ली और हजारों घर ढह गए। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) और अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जालालाबाद शहर से 27 किलोमीटर दूर और मात्र 10 किलोमीटर की गहराई में था।
गहराई कम होने की वजह से कंपन का असर सतह पर ज्यादा हुआ और इसी कारण इतने बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक 622 लोगों की मौत हो चुकी है और 1000 से ज्यादा लोग घायल हैं। अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है, जबकि राहत टीम मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश कर रही है।
केंद्र और तीव्रता: क्यों बढ़ा नुकसान
GFZ और USGS दोनों एजेंसियों ने भूकंप की तीव्रता 6.0 बताई है, जो रिक्टर स्केल पर मध्यम श्रेणी में आती है, लेकिन गहराई सिर्फ 10 किलोमीटर होने की वजह से इसका असर सतह पर सीधा और खतरनाक साबित हुआ। उथले भूकंप आमतौर पर ज्यादा तबाही मचाते हैं क्योंकि कंपन का झटका जमीन पर तेजी से महसूस होता है। यही वजह है कि इस भूकंप से इतनी बड़ी तबाही हुई। इसके अलावा, 20 मिनट के अंदर दो और झटके आए—पहला 4.5 तीव्रता का और दूसरा 5.2 तीव्रता का। लगातार आए इन झटकों ने लोगों में दहशत फैला दी और कई लोग रातभर अपने घरों से बाहर ही रहे।
मौतें और चोटें: सबसे ज्यादा असर जालालाबाद में
नंगरहर स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता अजमल दर्वाइश के मुताबिक, ज्यादातर मौतें जालालाबाद और उसके आसपास के गांवों में हुईं। लोग रात में सो रहे थे और मिट्टी के बने घर गिरने से दब गए। कई इलाकों में सड़कें टूट गईं, संचार नेटवर्क बाधित हो गया और बिजली आपूर्ति ठप पड़ गई, जिससे राहत कार्य में भी दिक्कत आई। पाकिस्तान सीमा के पास के कुछ इलाकों में भी झटके महसूस किए गए, लेकिन वहां जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। राहत टीमों के लिए गांवों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है क्योंकि कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
तालिबान सरकार का राहत अभियान
भूकंप के बाद तालिबान सरकार ने तुरंत बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिया है। सेना, मेडिकल टीम और रेस्क्यू दलों को प्रभावित इलाकों में भेजा गया है। हालांकि, नंगरहर और कुनार जैसे प्रांतों की दुर्गम भौगोलिक स्थिति और क्षतिग्रस्त सड़कों की वजह से राहत कार्य में समय लग रहा है। संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी मदद की पेशकश की है। मेडिकल सप्लाई, अस्थायी शेल्टर और खाने-पीने का सामान भेजा जा रहा है, लेकिन तबाही इतनी बड़ी है कि सब कुछ व्यवस्थित करने में वक्त लग सकता है।
2023 का भूकंप: जब गई थीं 1500 से ज्यादा जानें
यह भूकंप 2023 की उस दर्दनाक याद को भी ताजा कर गया, जब 6.3 तीव्रता के भूकंप ने अफगानिस्तान में 1500 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। तब भी राहत कार्य में अंतरराष्ट्रीय मदद ने अहम भूमिका निभाई थी। इस बार भले ही मौतों का आंकड़ा थोड़ा कम हो, लेकिन तबाही का असर गहराई तक है और इसका असर महीनों तक लोगों की जिंदगी पर पड़ सकता है।
बार-बार क्यों आते हैं भूकंप अफगानिस्तान में
अफगानिस्तान हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जो टेक्टॉनिक प्लेट्स के टकराव का सक्रिय क्षेत्र है। यहां इंडियन प्लेट हर साल 39 मिलीमीटर की रफ्तार से यूरोएशियन प्लेट से टकराती है। इसी वजह से यह इलाका भूकंप-प्रवण जोन में आता है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 वर्षों में 300 किलोमीटर के दायरे में 6.0 या उससे ज्यादा तीव्रता वाले 10 बड़े भूकंप आ चुके हैं। 2015 का 7.5 तीव्रता वाला भूकंप सबसे घातक था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी।