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अवैध खनन पर बड़ा खुलासा: बांका में करोड़ों का घोटाला, ED ने सरकार को भेजा पत्र

अवैध खनन पर बड़ा खुलासा: बांका में करोड़ों का घोटाला, ED ने सरकार को भेजा पत्र

बिहार के बांका जिले में ED ने ₹131 करोड़ के बालू घोटाले का खुलासा किया है। अवैध खनन में नेताओं और उनके करीबियों की संलिप्तता की आशंका है। दोबारा FIR दर्ज करने की सिफारिश की गई है।

Banka Sand Scam: बिहार के बांका जिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़े आर्थिक घोटाले का पर्दाफाश किया है। यह घोटाला अवैध बालू खनन से जुड़ा है, जिसमें लगभग 131.43 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का अनुमान लगाया गया है। इस मामले में कुछ नेताओं और उनके करीबियों की संलिप्तता की आशंका भी जताई गई है।

2017-18 के केस से शुरू हुआ मामला

बांका पुलिस ने वर्ष 2017-2018 में महादेव एनक्लेव नामक कंपनी के खिलाफ सात एफआईआर दर्ज की थीं। आरोप था कि कंपनी ने तय सीमा से अधिक बालू का खनन किया और अवैध रूप से इसका व्यापार किया।

खनन विभाग के अनुसार, महादेव एनक्लेव को 2015 से 2021 के बीच बांका जिले की 28 नदी घाटों से बालू खनन की अनुमति दी गई थी। लेकिन कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए बड़े पैमाने पर निर्धारित क्षेत्र से बाहर जाकर खनन किया।

चार्जशीट और कोर्ट की कार्रवाई

इन मामलों में पुलिस ने जांच पूरी कर चार्जशीट भी दायर की और कंपनी के डायरेक्टर मनोज कुमार पचिसिया को मुख्य आरोपी बनाया गया। लेकिन मामला कोर्ट में लंबा खिंचने के बाद फरवरी 2023 में इसे लोक अदालत में भेज दिया गया, जहां जुर्माना लगाकर केस को समाप्त कर दिया गया।

ईडी ने फिर से शुरू की जांच

लोक अदालत में केस समाप्त होने के बावजूद, प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले को फिर से उठाया और मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका के तहत जांच शुरू की। ईडी ने PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत मामला दर्ज किया और जमीनी साक्ष्यों की जांच शुरू की।

IIT पटना की जियोस्पेशियल रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा

ईडी ने इस मामले में IIT पटना से एक जियोस्पेशियल रिपोर्ट तैयार करवाई। रिपोर्ट में पाया गया कि वर्ष 2016 से 2021 तक करीब 11.99 करोड़ क्यूबिक मीटर बालू अवैध रूप से खनन किया गया। इससे राज्य सरकार को लगभग 131.43 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

लोक अदालत का निर्णय ईडी की जांच में बाधा

लोक अदालत द्वारा केस कंपाउंड किए जाने से ईडी की कानूनी कार्रवाई पर असर पड़ा। ऐसे में ईडी ने अब बिहार सरकार को दोबारा एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है। साथ ही, पैसे के लेन-देन और मनी ट्रेल की जांच में कुछ नेताओं और उनके करीबियों की भूमिका की आशंका भी जताई गई है।

राजनीतिक संलिप्तता की जांच की मांग

ईडी ने यह भी सुझाव दिया है कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किन राजनीतिक हस्तियों ने इस अवैध खनन और आर्थिक अनियमितता से लाभ उठाया। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि किन नेताओं के नाम जांच के दायरे में हैं, लेकिन एजेंसी का रुख यह संकेत दे रहा है कि आने वाले समय में बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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