बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दृष्टिगत नाथनगर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक हलकों में सुर्खियों में है। 1967 में बनी इस सीट को भागलपुर लोकसभा के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इसमें 15 गांव और नगर पंचायत शामिल हैं, जिनमें अधिकांश गंगा के किनारे बसे हैं।
नाथनगर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नाथनगर सीट पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। जेडीयू का गढ़ मानी जाने वाली यह सीट फिलहाल आरजेडी के पास है, लेकिन इस बार एनडीए की एकता के चलते जेडीयू की जीत तय मानी जा रही है। हालांकि, एनडीए गठबंधन के लिए अंदरूनी कलह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी, जेडीयू और लोजपा के बीच विवाद की संभावना है। पिछले चुनाव में भी चिराग पासवान की बगावत के कारण जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा था और आरजेडी को जीत मिली थी।
राजनीतिक समीकरण और एनडीए की स्थिति
2025 के चुनावों में नाथनगर सीट पर सभी की नजरें जेडीयू और आरजेडी पर टिकी हैं। इस बार एनडीए का गठबंधन पूरी तरह से एकजुट रहने पर जेडीयू की जीत तय मानी जा रही है। हालांकि, गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी, जेडीयू और लोजपा रामविलास के बीच विवाद उभर सकता है। पिछले चुनाव में भी चिराग पासवान की बगावत के चलते जेडीयू को हार झेलनी पड़ी थी, जिससे आरजेडी को फायदा मिला था।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि एनडीए गठबंधन अपनी भीतरी कलह से निपटने में सफल रहता है, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस सीट पर जीत की संभावना मजबूत कर सकते हैं।
इतिहास में नाथनगर की जीत-हार का रिकॉर्ड
नाथनगर विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है।
- इस सीट पर अब तक 15 चुनाव हुए हैं।
- इनमें 6 बार जेडीयू ने जीत हासिल की है।
- 2020 में पहली बार यह सीट आरजेडी के खाते में गई।
- कांग्रेस ने यहां तीन बार जीत दर्ज की थी, आखिरी बार 1980 में।
- जनता दल को दो बार, जबकि भारतीय जनसंघ और लोकदल को एक-एक बार जीत मिली है।
ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि जेडीयू की मजबूत पकड़ रही है, लेकिन सियासी समीकरण और गठबंधन के उतार-चढ़ाव के चलते आरजेडी ने भी मौके का फायदा उठाया। इस बार के चुनाव में प्रशांत किशोर का रणनीतिक हस्तक्षेप भी नाथनगर में अहम साबित हो सकता है। हर सीट पर उनका प्रभाव देखा जा रहा है, और नाथनगर में यदि उनका असर ज्यादा दिखा तो आरजेडी या जेडीयू में से किसी एक को फायदा मिल सकता है।