राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने मिथिलांचल में कांग्रेस की स्थिति उजागर की। जनता की प्रतिक्रियाएं, जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दों के बीच कांग्रेस के लिए आगामी विधानसभा चुनाव चुनौतीपूर्ण बने हैं।
Bihar Politics: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में कांग्रेस के लिए राजनीतिक माहौल आसान नहीं है। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने इस क्षेत्र में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति को सामने लाया है। दरभंगा से सीतामढ़ी तक यात्रा के दौरान लोगों ने वर्षा के बावजूद राजनीतिक संदेश दिए और इशारों के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। मुजफ्फरपुर में भीड़ और नारों के बीच महिलाओं और युवाओं ने राहुल गांधी के काफिले को देखा। इस दौरान समर्थकों का उत्साह और जातिगत समीकरणों की चर्चा भी गहराई से सामने आई।
यात्रा का प्रभाव और स्थानीय परिस्थिति
फुलपरास और आसपास की पंचायतों जैसे गोरियारी, सैनी और धनौजा में वर्षा के बावजूद खेत सूखे हैं और नल में पानी नहीं है। गर्मी के समय किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। स्थानीय लोग सरकार की मेहरबानियों को पर्याप्त नहीं मान रहे हैं, लेकिन अपने हक और पहचान के लिए वे जागरूक हैं। यही वजह है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यात्रा के दौरान लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया जुबान से कम, इशारों से अधिक दिखाई।
राहुल गांधी का स्वागत और लोगों की उम्मीदें
मिथिलांचल की यात्रा में राहुल गांधी ने माछ-मखाना और क्षेत्र की मीठी बोली के प्रति अपनी रुचि दिखाई। मुजफ्फरपुर में गायघाट पर महिलाओं की टोली ने 4000 से अधिक बाइकों पर सवार युवा समर्थकों की ओर इशारा किया। यह दृश्य विधायक निरंजन राय के कार्यक्रम का हिस्सा था। राहुल गांधी का काफिला चार किलोमीटर तक धूल उड़ाते हुए आगे बढ़ा और नारेबाजी के बीच प्रियंका गांधी वाड्रा भी काफिले में शामिल थीं। यह दृश्य क्षेत्र की राजनीतिक उत्सुकता और समर्थन का स्पष्ट संकेत था।
जातिगत समीकरण और राजनीतिक रणनीति
मिथिलांचल में जातिगत समीकरण राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। यादव और पासवान समुदायों में एकता का भाव साफ देखा गया। यह समुदाय स्थानीय चुनावों में अपनी शक्ति के प्रति सजग है और अपने वोट को लेकर स्पष्ट निर्णय लेने का प्रयास करता है। स्थानीय लोग अपनी कमाई और इज्जत के हिसाब से वोट देते हैं और किसी भी प्रकार की जबरदस्ती स्वीकार नहीं करते। इस कारण कांग्रेस के लिए क्षेत्रीय रणनीति बनाना चुनौतीपूर्ण है।
कांग्रेस के पिछले चुनावी प्रदर्शन का विश्लेषण
मिथिलांचल में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले विधानसभा चुनावों में मिश्रित रहा है। 2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल 19 जीत हासिल हुई और मिथिलांचल में कोई विशेष उपलब्धि नहीं रही। 2015 में महागठबंधन में शामिल होने के बावजूद कांग्रेस ने केवल तीन सीटें जीत पाई थी। 2010 में अकेले चुनाव लड़ने पर भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर रही। कुल मिलाकर मिथिलांचल में कांग्रेस की पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर है और उसे क्षेत्रीय समर्थन बढ़ाने के लिए रणनीति में बदलाव करना होगा।
विधानसभा चुनाव में मिथिलांचल की स्थिति
मिथिलांचल में कुल 51 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा और समस्तीपुर जिले शामिल हैं। यह क्षेत्र जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दों के कारण राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील है। कांग्रेस के लिए इस क्षेत्र में मजबूत पैठ बनाने का कार्य आसान नहीं है। स्थानीय समस्याओं जैसे पानी की कमी, खेतों की सूखापन और बेरोजगारी को चुनावी मुद्दे के रूप में पेश करना कांग्रेस की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।