बदरीनाथ हाईवे गौचर तलधारी के पास भारी भूस्खलन के कारण बंद हो गया है। सुबह के समय अचानक पहाड़ी से मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर सड़क पर गिर गए, जिससे वहां से गुजर रहे लोग बाल-बाल बच गए।
चमोली: बदरीनाथ हाईवे पर शुक्रवार सुबह बड़ा हादसा टल गया जब गौचर तलधारी के समीप पहाड़ी दरकने से भारी मलबा और बोल्डर सड़क पर आ गिरे। जिस वक्त यह हादसा हुआ, उसी दौरान हाईवे से कुछ लोग गुजर रहे थे, जो किसी तरह मौके से भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे। पहाड़ी से लगातार पत्थर गिरने और मलबा जमा होने के कारण इस अहम हाईवे पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है।
भारी बारिश के बीच प्रदेशभर में भूस्खलन और सड़कें टूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। कर्णप्रयाग नेनीसैंण मोटर मार्ग पर भी स्थिति बिगड़ गई है। आईटीआई से करीब 500 मीटर आगे एक विशाल चट्टान टूटकर सड़क पर आ गिरी, जिसके चलते कपीरीपट्टी के ग्रामीणों को मजबूरन डिम्मर सिमली के रास्ते से कर्णप्रयाग जाना पड़ रहा है।
आज बारिश का रेड अलर्ट जारी
स्थानीय प्रशासन ने तुरंत जेसीबी और मलबा हटाने वाली मशीनें तैनात की हैं, लेकिन लगातार बारिश राहत कार्यों में रुकावट डाल रही है। लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों ने कहा कि जैसे ही मौसम थोड़ा साफ होगा, सड़क को खोलने की कोशिश की जाएगी। इधर, मौसम विज्ञान विभाग ने देहरादून समेत नौ जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। देहरादून, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, नैनीताल, चंपावत और ऊधमसिंह नगर में शुक्रवार और शनिवार को बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
विभाग ने कहा कि इन इलाकों में 100 मिमी से ज्यादा बारिश होने की आशंका है, जिससे भूस्खलन, जलभराव और सड़कें धंसने की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। राज्य के अन्य जिलों में भी तेज बारिश का ऑरेंज अलर्ट प्रभावी किया गया है। मौसम वैज्ञानिकों ने लोगों को साफ शब्दों में चेताया है कि नदी-नालों के किनारे जाने से बचें और पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा केवल अत्यधिक जरूरत पड़ने पर ही करें।
गंगा नदी उफान पर
बारिश का यह दौर मैदान में भी तबाही ला रहा है। हरिद्वार में गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा 293 मीटर के पास पहुंच गया है। शुक्रवार सुबह 11 बजे तक गंगा का स्तर 292.90 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे का संकेत माना जा रहा है। एहतियात के तौर पर जिला प्रशासन ने गंगा घाट खाली करा दिए हैं और आसपास रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
बाढ़ राहत चौकियां पूरी तरह अलर्ट पर हैं। गंगा के बढ़ते पानी पर प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीम लगातार नजर बनाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश सीमा तक गंगा किनारे गांवों में भी निगरानी बढ़ा दी गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों में उन्होंने इस तरह का लगातार और भीषण बारिश का दौर बहुत कम देखा है। पर्वतीय क्षेत्रों में कई जगह बिजली के खंभे गिरने, पुलों के कमजोर होने और पेड़ों के उखड़ने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।