उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने देश में राजनीतिक बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने इसे सरकार का दबाव बताया, जबकि विपक्ष ने इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं।
Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस फैसले की टाइमिंग और कारणों पर सवाल खड़े किए हैं। धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन विपक्ष इसे सरकार का "थोपे गए निर्णय" बता रहा है। आइए इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
धनखड़ का अचानक इस्तीफा: क्या है वजह?
सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और डॉक्टर की सलाह पर लिया है। उनका इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा गया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का आभार जताया।
धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, "मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह के चलते तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के सहयोग के लिए मैं आभारी हूं।"
कांग्रेस का आरोप: यह धनखड़ की मर्जी नहीं थी
कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद नीरज डांगी ने कहा कि यह इस्तीफा धनखड़ की इच्छा से नहीं, बल्कि सरकार के दबाव में लिया गया है। उन्होंने कहा, "हमें लगता है कि यह फैसला उपराष्ट्रपति की व्यक्तिगत इच्छा नहीं थी, बल्कि उन पर यह निर्णय थोपा गया। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।"
सवालों के घेरे में इस्तीफे की टाइमिंग
कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा, "धनखड़ साहब दिनभर संसद में मौजूद थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अचानक इस्तीफा देना पड़ा? हम उनकी सेहत की दुआ करते हैं, लेकिन इस फैसले की वजह स्पष्ट नहीं है।"
इसी तरह कांग्रेस सांसद किरण कुमार चमाला ने भी कहा कि उपराष्ट्रपति सुबह तक संसद में थे और दलों से एकजुटता की अपील कर रहे थे। ऐसे में शाम को अचानक इस्तीफा देना हैरानीजनक है।
क्या धनखड़ का इस्तीफा योजनाबद्ध था?
विपक्ष का दावा है कि यह सिर्फ स्वास्थ्य कारण नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक फैसला है। सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ मंगलवार को जयपुर जाने वाले थे, जहां वे CREDAI (रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के नए सदस्यों से मिलने वाले थे। ऐसे में अचानक इस्तीफा देना सामान्य नहीं माना जा रहा।
धनखड़ का राजनीतिक और प्रशासनिक करियर
धनखड़ अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे। इस दौरान वे राज्यसभा के सभापति भी रहे। अपने कार्यकाल में वे कई बार विपक्ष के साथ तीखे संवाद में शामिल रहे और संसद की गरिमा बनाए रखने के प्रयास करते दिखे। इससे पहले वे राजस्थान के झुंझुनूं से सांसद और राज्य के राज्यपाल भी रह चुके हैं।
सरकार की चुप्पी और विपक्ष की बेचैनी
जहां सरकार की ओर से इस इस्तीफे पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की गई है, वहीं विपक्ष लगातार इस पर सवाल खड़ा कर रहा है। कई वरिष्ठ नेताओं ने सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से इस घटनाक्रम की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
अपने पत्र में उपराष्ट्रपति ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम का सहयोग उनके लिए बहुत मूल्यवान रहा। उन्होंने कहा, "मैंने अपने कार्यकाल में बहुत कुछ सीखा और सांसदों का प्रेम व सम्मान हमेशा याद रहेगा। देश की तरक्की और आर्थिक प्रगति के इस दौर में सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही।"