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दिल्ली की जहरीली हवा पर चीन ने दिया मदद का प्रस्ताव, साझा करेगा सफल प्रदूषण मॉडल

दिल्ली की जहरीली हवा पर चीन ने दिया मदद का प्रस्ताव, साझा करेगा सफल प्रदूषण मॉडल

दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। AQI 400 पार, सांस लेना मुश्किल। चीन ने प्रदूषण कम करने के अपने सफल मॉडल साझा करने की पेशकश की है। लोग राहत और समाधान की उम्मीद में हैं।

Chinese Model: दिल्ली इन दिनों वायु प्रदूषण के कारण गंभीर संकट में है। राजधानी और आसपास के शहरों में हवा इतनी जहरीली हो गई है कि सांस लेना मुश्किल हो गया है। आसमान में धुंए की मोटी परत नजर आ रही है और लोगों का स्वास्थ्य लगातार प्रभावित हो रहा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं, लेकिन अब तक ये नाकाफी साबित हुए हैं।

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक या AQI कई इलाकों में 400 के पार पहुंच चुका है। अलिपुर में AQI 420, आनंद विहार 403 और बवाना 390 दर्ज हुआ। नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में भी हवा की स्थिति बेहद खराब रही। गाजियाबाद के लोनी में 420 का स्तर पार हुआ, जिससे लोगों के लिए सांस लेना खतरे भरा हो गया।

चीन ने बढ़ाया मदद का हाथ

दिल्ली की जहरीली हवा को देखते हुए चीन ने भारत की मदद का प्रस्ताव रखा है। चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि चीन भी कभी गंभीर स्मॉग से जूझता था। अब उनके शहरों की हवा साफ है। उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ अपना अनुभव साझा करने को तैयार है और उन्हें भरोसा है कि भारत भी जल्द ही अपने शहरों को साफ कर सकेगा।

चीन की यह पेशकश भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उसने अपने शहरों में प्रदूषण कम करने के लिए सफल मॉडल तैयार किया है, जिससे दिल्ली जैसी गंभीर स्थिति वाले शहरों के लिए समाधान सुझाया जा सकता है।

दिल्ली और आसपास के इलाकों की हवा का हाल

दिल्ली-एनसीआर के लोग इन दिनों जहरीली हवा में जीने को मजबूर हैं। प्रदूषण के स्तर में इतनी तेजी से वृद्धि हुई है कि सांस लेने में कठिनाई हो रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़े दर्शाते हैं कि स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस स्थिति में चीन का अनुभव और उनके सफल प्रयास भारत के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।

चीन ने कैसे अपने शहरों को किया साफ

पिछले दो दशकों में चीन दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में गिना जाता था। बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझो जैसे शहरों में स्मॉग की मोटी परत नजर आती थी। लेकिन 2013 के बाद से चीन ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए और इसका असर दिखा। चीन की यह रणनीति अब पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुकी है।

Air Pollution Prevention and Control Action Plan

2013 में चीन ने “Air Pollution Prevention and Control Action Plan” लागू किया। यह देश का पहला व्यापक वायु स्वच्छता अभियान था। योजना के तहत कई लक्ष्य तय किए गए। सबसे पहले कोयले पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य रखा गया। औद्योगिक उत्सर्जन पर कड़े मानक बनाए गए और बड़े शहरों में AQI की निगरानी शुरू की गई। साथ ही प्रदूषक उद्योगों को शहरों से बाहर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए गए।

इस योजना के कारण चीन की हवा साफ हुई और वहां की जीवन गुणवत्ता में सुधार हुआ। नीति और निगरानी के साथ जनता और उद्योगों के सहयोग से यह मॉडल सफल रहा।

चीन में उठाए गए कठोर कदम

चीन ने अपने शहरों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए। लाखों पुराने वाहनों को सड़क से हटा दिया गया। इलेक्ट्रिक बसें और टैक्सियां चलाना शुरू की गईं। साइकिल लेन और मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया गया ताकि लोग निजी वाहन कम चलाएं।

इसके अलावा, चीन ने हजारों फैक्ट्रियों को आधुनिक तकनीक अपनाने पर मजबूर किया। इस्पात, सीमेंट और कोयला आधारित उद्योगों को उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण लगाने पड़े। जो उद्योग नियमों का पालन नहीं करते थे, उन्हें भारी जुर्माना या बंदी का सामना करना पड़ा।

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