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घड़ी का आविष्कार किसने किया? जानिए समय मापन का इतिहास

घड़ी का आविष्कार किसने किया? जानिए समय मापन का इतिहास

आज हम हर समय घड़ी देखते हैं—मोबाइल में, दीवार पर या कलाई पर। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब घड़ी नहीं थी, तब लोग समय कैसे जानते थे? प्राचीन समय में लोग सूरज की दिशा, छाया और मौसम के अनुसार समय का अंदाज़ा लगाते थे। मिस्र और बेबीलोन जैसी सभ्यताओं ने सूरज घड़ी (Sun Dial) और जल घड़ी (Water Clock) का प्रयोग किया। ये घड़ियाँ बहुत सटीक तो नहीं थीं, लेकिन उस समय के लिए एक क्रांतिकारी खोज थीं।

यांत्रिक घड़ी का प्रारंभिक आविष्कार

सबसे पहली यांत्रिक घड़ी का निर्माण यूरोप में 13वीं शताब्दी के आसपास हुआ था। इन घड़ियों में एक भारी लटकन या घूमने वाला चक्र होता था, जो समय को एक जैसी गति में चलने में मदद करता था। ये घड़ियाँ बहुत बड़ी होती थीं और ज़्यादातर चर्च या नगर के टावरों में लगाई जाती थीं। घड़ी हर घंटे में घंटी बजाकर समय का संकेत देती थी, जिससे लोग दूर से भी समय जान सकते थे। यह घड़ी बिजली से नहीं, बल्कि लोहे की मशीनों और भार के सहारे चलती थी।

घड़ी का आविष्कार किसने किया?

घड़ी के आविष्कार में कई वैज्ञानिकों ने योगदान दिया, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण नाम पीटर हेन्नलिन का है, जो जर्मनी के रहने वाले थे। उन्होंने 1510 में पहली बार एक छोटी यांत्रिक घड़ी बनाई, जिसे लोग अपनी जेब में रख सकते थे। इस घड़ी को "पोर्टेबल क्लॉक" कहा गया और यह वसंत (spring) की ताकत से चलती थी, यानी इसमें एक स्प्रिंग होता था जो धीरे-धीरे खुलकर घड़ी को चलाता था। पीटर हेन्नलिन को इसी वजह से “आधुनिक घड़ी का जनक” कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने घड़ी को घर की दीवार से निकालकर इंसान की जेब तक पहुँचा दिया।

जेब घड़ी से कलाई घड़ी तक का सफर

17वीं से 19वीं शताब्दी तक लोग जेब में रखने वाली घड़ी का इस्तेमाल करते थे, जिसे चैन से कमर में लगाया जाता था। लेकिन जब 20वीं सदी की शुरुआत में पहला विश्व युद्ध हुआ, तो सैनिकों को समय देखने के लिए जेब से घड़ी निकालना मुश्किल होने लगा। ऐसे में कलाई घड़ी का चलन शुरू हुआ, जिसे हाथ में पहनना आसान और सुविधाजनक था। युद्ध के बाद यह घड़ी आम लोगों में भी लोकप्रिय हो गई और पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी इसे पहनना शुरू कर दिया। कलाई घड़ी समय जानने का नया और फैशनेबल तरीका बन गई।

क्वार्ट्ज घड़ी का आगमन

1969 में जापान की कंपनी Seiko ने पहली बार क्वार्ट्ज घड़ी बनाई, जो घड़ी की दुनिया में एक बड़ी खोज मानी जाती है। इस घड़ी में बैटरी और क्वार्ट्ज क्रिस्टल का इस्तेमाल किया गया, जिससे यह समय को बहुत सटीकता से बता सकती थी। पहले की यांत्रिक घड़ियों की तुलना में यह घड़ी हल्की, सस्ती और ज्यादा टिकाऊ थी।

क्वार्ट्ज घड़ी ने पूरी दुनिया में घड़ी के बाजार को बदल दिया। इसकी तकनीक इतनी सफल हुई कि आज ज़्यादातर डिजिटल और एनालॉग घड़ियाँ इसी टेक्नोलॉजी पर आधारित होती हैं। क्वार्ट्ज घड़ी ने समय को जानने को न सिर्फ आसान बनाया, बल्कि आम लोगों की पहुँच में भी ला दिया।

डिजिटल घड़ी और स्मार्टवॉच का युग

20वीं सदी के अंत में डिजिटल घड़ियाँ बाजार में आईं, जो केवल समय ही नहीं बल्कि तारीख, अलार्म, स्टॉपवॉच जैसे कई उपयोगी फीचर्स के साथ आई थीं। इन घड़ियों में एलईडी या एलसीडी स्क्रीन होती थी, जिससे समय पढ़ना आसान हो गया। यह तकनीक लोगों को बहुत पसंद आई क्योंकि इसमें समय के साथ-साथ अन्य ज़रूरी जानकारी भी मिलती थी।

इसके बाद 21वीं सदी में स्मार्टवॉच का दौर शुरू हुआ। Apple, Samsung, और Fitbit जैसी कंपनियों ने घड़ी को सिर्फ समय बताने वाले यंत्र से बदलकर एक स्मार्ट डिवाइस बना दिया। अब घड़ी से कॉल करना, मैसेज पढ़ना, दिल की धड़कन मापना, फिटनेस ट्रैक करना और यहां तक कि इंटरनेट चलाना भी संभव हो गया है। स्मार्टवॉच ने हमारी जिंदगी को और भी स्मार्ट बना दिया है।

भारत में घड़ी का इतिहास और लोकप्रियता

भारत में घड़ी का इस्तेमाल अंग्रेजों के समय शुरू हुआ, जब समय जानना एक खास बात मानी जाती थी और घड़ियाँ केवल अमीर या उच्च वर्ग के लोगों के पास ही होती थीं। धीरे-धीरे यह आम लोगों तक पहुँची और जीवन का जरूरी हिस्सा बन गई। भारत में HMT (Hindustan Machine Tools) ने सस्ती और टिकाऊ घड़ियों का निर्माण शुरू किया, जिससे घड़ी आम जनता तक पहुँची। बाद में Titan और Fastrack जैसी कंपनियाँ आईं, जिन्होंने युवाओं और फैशन पसंद लोगों के बीच घड़ी को और भी लोकप्रिय बना दिया। आज भारत में हर वर्ग के लिए घड़ियाँ उपलब्ध हैं।

घड़ी का इतिहास केवल एक यंत्र का विकास नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की सोच और तकनीक की गहराई को दर्शाता है। समय को मापने की शुरुआत सूरज और जल से हुई और आज हम स्मार्टवॉच पहनते हैं जो स्वास्थ्य से लेकर संपर्क तक सब कुछ संभालती है। पीटर हेन्नलिन से लेकर Apple तक, घड़ी ने एक लंबा और दिलचस्प सफर तय किया है। यह केवल समय बताने वाला यंत्र नहीं, बल्कि जीवन का साथी बन चुकी है।

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