Pune

राजस्थान में इतिहास पर विवाद: सरकार ने 'अकबर महान' पढ़ाने पर लगाई रोक

राजस्थान में इतिहास पर विवाद: सरकार ने 'अकबर महान' पढ़ाने पर लगाई रोक

राजस्थान में ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा की इतिहास विषय से जुड़ी एक विवादित पुस्तक को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यह पुस्तक ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ हाल ही में चर्चा का केंद्र बनी हुई थी, और अब इस पर राज्य सरकार ने औपचारिक रूप से पाबंदी लगा दी है।

Rajasthan Politics: राजस्थान में इतिहास शिक्षा को लेकर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने ऐलान किया है कि कक्षा 11वीं और 12वीं में पढ़ाई जाने वाली पुस्तक ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ पर पाबंदी लगा दी गई है। इस फैसले के बाद राजस्थान के शिक्षा क्षेत्र में राजनीतिक बयानबाज़ी और वैचारिक टकराव तेज़ हो गया है।

क्यों बैन हुई किताब?

इस किताब को लेकर आरोप है कि इसमें गांधी परिवार का "अत्यधिक महिमामंडन" किया गया है और कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को एकतरफा रूप से प्रस्तुत किया गया है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि यह किताब छात्रों के दिमाग में ज़हर घोलने का काम कर रही थी। अगर करोड़ों रुपये खर्च कर ऐसा ज़हर खरीदा गया है, तो उसे पिया नहीं जा सकता।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य में अब अकबर को 'महान' के रूप में नहीं पढ़ाया जाएगा, बल्कि अकबर का उल्लेख उनके अनुसार “बलात्कारी” के तौर पर होना चाहिए। यह बयान स्वाभाविक रूप से तीव्र प्रतिक्रिया का केंद्र बन गया है।

शिक्षा मंत्री के बयान पर विवाद

जानकारी के मुताबिक, यह किताब पहले ही राज्य के कई स्कूलों में पहुंच चुकी थी और इसकी चार लाख से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी थीं। कुछ निजी स्कूलों में इसे सत्र की शुरुआत में पढ़ाना भी शुरू कर दिया गया था। हालांकि, इस पुस्तक के अंक बोर्ड परीक्षा के अंतिम परिणाम में नहीं जोड़े जाते, यह केवल पूरक पठन सामग्री के तौर पर प्रयुक्त होती थी।

मदन दिलावर के विवादास्पद बयान — जिसमें उन्होंने अकबर को महान मानने से इनकार करते हुए उन्हें 'बलात्कारी' कहा — ने इतिहासकारों, शिक्षाविदों और राजनीतिक दलों के बीच गहरी असहमति पैदा कर दी है। इतिहास को लेकर इस तरह के विचारों पर सवाल उठते हैं कि क्या राजनीतिक विचारधारा के आधार पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण को बदला जाना उचित है।

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस पार्टी ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, “मदन दिलावर की खुद अपने मंत्रालय में नहीं चलती है। वो बिना किसी शैक्षणिक समीक्षा के ऐसे फैसले ले रहे हैं, जो युवाओं के लिए खतरनाक हो सकते हैं।” कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह निर्णय राजनीतिक एजेंडा से प्रेरित है और इसका उद्देश्य इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना है।

भारत में इतिहास की किताबें अक्सर राजनीतिक बहसों का केंद्र रही हैं। एक ओर जहां कुछ लोग मानते हैं कि इतिहास को नई दृष्टि से लिखा जाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर कई विद्वानों का कहना है कि इतिहास को तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष रूप से पढ़ाया जाना चाहिए।

Leave a comment