राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने हाल ही में एक बड़ा बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ की हरकतों की कड़ी आलोचना की और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की एक घटना से उसकी तुलना को गैर-तुलनीय बताया।
शिंदे गुट पर तीखा हमला बोलते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि चुने हुए नेताओं से ज्यादा जिम्मेदारी और परिपक्वता की उम्मीद की जाती है, और जब वे सार्वजनिक रूप से कानून तोड़ते हैं या हिंसा करते हैं, तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्या है मामला?
हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ को एक सरकारी कैंटीन कर्मचारी के साथ मारपीट करते हुए देखा गया। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी रही, लेकिन इस पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई, न ही सत्ताधारी दल के किसी बड़े नेता ने इस पर प्रतिक्रिया दी।
इसी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में कहा, जो व्यक्ति कैंटीन कर्मचारी को पीट रहा है, वह महाराष्ट्र का चुना हुआ विधायक है। उसे जिम्मेदारी और परिपक्वता दिखानी चाहिए थी।
MNS बनाम शिंदे गुट: तुलना गलत
हाल ही में MNS कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार पर हमला किया था, जिसके बाद कुछ लोगों ने इसकी तुलना शिंदे गुट की घटना से कर दी। इस पर नाराज़ प्रियंका चतुर्वेदी ने स्पष्ट कहा, MNS की घटना भाषा विवाद को लेकर नहीं, बल्कि दुकानदार के व्यवहार और सम्मान को लेकर थी। इसमें पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया, एफआईआर दर्ज हुई और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। वहीं, शिंदे गुट के विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कुणाल कामरा का उदाहरण देकर साधा निशाना
प्रियंका चतुर्वेदी ने इंटरव्यू में मशहूर स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा का जिक्र करते हुए कहा कि जब उन्होंने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर एक हल्का-फुल्का मजाक किया था, तब उनके समर्थकों ने स्टूडियो में तोड़फोड़ की थी। उन्होंने कहा, “यह पहला मौका नहीं है जब शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं ने इस तरह की अराजकता फैलाई है। यह बार-बार हो रहा है, और यह साफ दर्शाता है कि सत्ता में बैठे लोगों को कानून का डर नहीं है।”
पूर्व शिवसेना सांसद राजन विचारे के ऑफिस में कथित मारपीट की घटना पर बोलते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह मामला भाषा से नहीं बल्कि स्थानीय विवाद से जुड़ा था। एक शिवसेना कार्यकर्ता से मोबाइल कनेक्शन मांगने पर विवाद हुआ, जिसे ऑफिस बुलाकर पूछताछ की गई, लेकिन बात बिगड़ गई।”उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि “हम किसी के हिंसक व्यवहार को सही नहीं ठहरा रहे हैं, लेकिन हर घटना की परिस्थितियों और तथ्यों को समझना जरूरी है। विधायक द्वारा किसी कर्मचारी को पीटना और उसका बचाव होना, बेहद निंदनीय है।
भाषा विवाद पर सफाई
प्रियंका चतुर्वेदी ने भाषा विवाद को लेकर चल रहे विमर्श पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से हिन्दी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया है, जिस पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों ने एक मंच से विरोध जताया।उन्होंने कहा, हम हिन्दी के खिलाफ नहीं हैं। मुंबई हिन्दी सिनेमा का गढ़ है और राज्य में एक करोड़ से अधिक हिन्दी भाषी लोग रहते हैं। लेकिन किसी भी भाषा को जबरदस्ती थोपना उचित नहीं है। यह संविधान की भावना के खिलाफ है।