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सावन में शिवलिंग को छूना सही या गलत? जानिए क्या कहती हैं परंपराएं

सावन में शिवलिंग को छूना सही या गलत? जानिए क्या कहती हैं परंपराएं

श्रावण मास यानी सावन का महीना शिवभक्तों के लिए सबसे खास होता है। इस पूरे महीने लोग व्रत, उपवास और विशेष पूजन के जरिए भगवान शिव की कृपा पाने का प्रयास करते हैं। इस दौरान शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म और फल चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

शिवलिंग को छूना: आस्था या अपमान?

शिवलिंग को लेकर एक बड़ा सवाल यह भी होता है कि पूजन करते समय शिवलिंग को हाथ लगाया जा सकता है या नहीं। बहुत से लोग पूजा करते समय शिवलिंग को स्पर्श करते हैं, वहीं कई स्थानों पर पुजारियों द्वारा भक्तों को ऐसा करने से रोका जाता है।

धार्मिक ग्रंथों और मंदिर परंपराओं में इसको लेकर मतभेद भी हैं। कुछ शास्त्रों में शिवलिंग को ब्रह्म तत्व का प्रतीक बताया गया है, जिसे केवल भाव और भक्ति से पूजा जाना चाहिए, न कि सीधे हाथ लगाकर। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, उचित विधि से स्पर्श करने पर शिव की कृपा प्राप्त होती है।

प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग को नहीं छूने की परंपरा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो शिवलिंग मंदिरों में वैदिक विधि से प्राण प्रतिष्ठित किए गए होते हैं, उन्हें स्पर्श करना वर्जित माना गया है। ये शिवलिंग अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और इन्हें केवल पुजारी या अधिकृत व्यक्ति ही विशेष नियमों के तहत स्पर्श कर सकते हैं।

ऐसा माना जाता है कि ऐसे शिवलिंग की पवित्रता बहुत ऊंचे स्तर की होती है, और आम व्यक्ति के द्वारा छूना उनकी शक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसीलिए अनेक प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भक्तों को केवल दूर से जल चढ़ाने और दर्शन करने की अनुमति होती है।

कुछ मतों में स्पर्श को माना गया पुण्य का कार्य

वहीं दूसरी ओर कुछ धार्मिक मान्यताएं यह भी कहती हैं कि शिवलिंग को स्पर्श करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। ऐसा विशेष रूप से तब होता है जब व्यक्ति पूरी शुद्धता और आस्था के साथ स्पर्श करता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव को "भोलाभंडारी" कहा जाता है, जो अपने भक्तों की सरलता और भावना से प्रसन्न हो जाते हैं।

ऐसे में शिवलिंग को प्रेम और सम्मान के साथ छूना, कोई गलत बात नहीं मानी जाती। हालांकि यह भी निर्भर करता है कि किस मंदिर की परंपरा क्या है। कई स्थानीय मंदिरों में भक्तों को जल अर्पण करने के बाद शिवलिंग पर हाथ फेरने की भी अनुमति दी जाती है।

महिलाओं के लिए क्या हैं नियम

महिलाओं द्वारा शिवलिंग को स्पर्श करना एक और संवेदनशील विषय रहा है। कुछ धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि शिवलिंग 'पुरुष तत्व' का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए महिलाओं को इसका सीधा स्पर्श नहीं करना चाहिए। खासतौर पर माहवारी के दौरान महिलाओं को मंदिर में प्रवेश तक की अनुमति नहीं दी जाती थी, हालांकि अब समय के साथ बहुत सी मान्यताएं बदल चुकी हैं।

कुछ मंदिरों में अब महिलाओं को शिवलिंग पर जल अर्पण करने और नंदी मुद्रा में खड़े होकर शिव को स्पर्श करने की अनुमति भी दी जाती है। यह पूरी तरह से स्थानीय परंपराओं और मंदिरों के नियमों पर आधारित होता है।

शिवलिंग को स्पर्श करने की विधि

अगर आप किसी ऐसे स्थान पर हैं जहां शिवलिंग को स्पर्श करने की अनुमति है, तो उसके लिए भी कुछ नियम होते हैं

  • सबसे पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  • मंदिर परिसर में प्रवेश करते समय मन शांत और श्रद्धा से भरा होना चाहिए।
  • शिवलिंग पर पहले जल या दूध चढ़ाएं।
  • बेलपत्र, धतूरा या फूल चढ़ाने के बाद ही शिवलिंग को दाहिने हाथ से धीरे से स्पर्श करें।
  • दोनों हाथ जोड़कर भगवान शिव से प्रार्थना करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

यह प्रक्रिया केवल भाव और भक्ति के साथ करनी चाहिए, किसी दिखावे या फोटो खिंचवाने के उद्देश्य से नहीं।

कुछ स्थानों पर विशेष नियम

काशी विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, सोमनाथ, महाकालेश्वर जैसे प्राचीन ज्योतिर्लिंग मंदिरों में शिवलिंग को छूने की मनाही होती है। वहां केवल विशेष अवसरों पर, विशेष पुजारियों को ही यह अधिकार होता है।

वहीं ग्रामीण क्षेत्रों या स्थानीय मंदिरों में अधिक लचीली परंपराएं होती हैं, जहां श्रद्धालु प्रेमपूर्वक शिवलिंग का स्पर्श कर सकते हैं।

सावन में बढ़ती है पवित्रता की मांग

सावन के महीने में शिव पूजन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में भक्तों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए कि पूजा में किसी भी तरह की गलती न हो। शिवलिंग को छूने से पहले यह जानना जरूरी है कि संबंधित मंदिर की परंपरा क्या है और क्या वहां इसकी अनुमति है या नहीं।

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