राजस्थान की गहलोत सरकार के समय सचिन पायलट पर सरकार गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था, जिसके चलते उनके खिलाफ एसओजी और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में मामला दर्ज किया गया था।
जयपुर: राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में 2020 का राजनीतिक संकट हमेशा याद रखा जाएगा। उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी टकराव ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी थी। गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों ने राजनीतिक पटल को गर्म कर दिया था। अब, पांच साल बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में सचिन पायलट को क्लीन चिट दे दी है, जिससे पूरे विवाद को औपचारिक रूप से विराम मिला है।
2020 का सियासी संकट
साल 2020 में राजस्थान में सियासी हलचल उस समय शुरू हुई जब सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे। इसके बाद पायलट पर गहलोत सरकार गिराने की साजिश और विधायकों को पैसे से खरीदने के आरोप लगे। मामला राजस्थान एसओजी (State Special Operation Group) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) तक पहुंचा।
एसओजी ने 10 जुलाई 2020 को भरत मालानी और अशोक सिंह को गिरफ्तार किया था। उन पर सरकार गिराने का मामला दर्ज किया गया, और सचिन पायलट को भी आरोपी बनाया गया। इसके साथ ही विधायकों को खरीदने का आरोप भी लगाया गया, जो राजनीतिक इतिहास में चर्चा का विषय बना।
एसीबी की रिपोर्ट में खुला सच
राजस्थान हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में यह साफ किया गया कि विधायकों को पैसे से खरीदने का आरोप पूरी तरह फर्जी है। रिपोर्ट के अनुसार, निर्दलीय विधायक रामीला खड़िया से संबंधित कथित खरीद-फरोख्त का कोई सबूत नहीं मिला। एसीबी ने बताया कि जांच के दौरान फोन रिकॉर्डिंग में केवल सामान्य राजनीतिक बातचीत, सट्टेबाजी, जुआ, महिलाओं की बातचीत और निजी बातें सुनाई दीं। किसी भी रिकॉर्डिंग में सरकारी अधिकारियों या विधायकों को खरीदने की कोई बात सामने नहीं आई। बैंक खातों की जांच में भी किसी बड़ी राशि के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला।
एसीबी ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी विधायक ने यह नहीं कहा कि आरोपियों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की। रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सचिन पायलट को क्लीन चिट दे दी, जिससे पांच साल पुराने विवाद का अंत हो गया।
सचिन पायलट की प्रतिक्रिया
हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद सचिन पायलट ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट को व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा, लेकिन कोर्ट के निर्णय पर विश्वास जताया। पायलट ने कहा, जब न्यायपालिका ने फैसला दे दिया है, तो अब कुछ बचा ही नहीं है कहने को। मुझे लगता है देश की न्यायपालिका सुदृढ़ और मजबूत है। न्याय में कभी-कभी देरी होती है, लेकिन न्यायपालिका में विश्वास बनाए रखना चाहिए।
पायलट के समर्थक इस निर्णय से काफी उत्साहित हैं। टोंक के दौरे के दौरान उन्होंने इस क्लीन चिट को सकारात्मक संदेश के रूप में पेश किया और कहा कि राजनीति में किसी भी तरह के आरोप हमेशा जांच और साक्ष्य के आधार पर तय होने चाहिए।