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उत्तर प्रदेश सरकार TET अनिवार्यता के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी, शिक्षकों को राहत

उत्तर प्रदेश सरकार TET अनिवार्यता के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी, शिक्षकों को राहत

उत्तर प्रदेश सरकार ने TET अनिवार्यता के विरोध में शिक्षकों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग को इसका निर्देश दिया, जिससे राज्य में टीचर्स की चिंता कम होगी।

UP TET News: उत्तर प्रदेश सरकार ने टीईटी अनिवार्यता के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2025 में बेसिक शिक्षा विभाग को इस कदम के लिए निर्देशित किया, जिससे राज्य के टीचर्स को राहत और उनके विरोध प्रदर्शनों का समाधान मिल सकेगा।

यूपी सरकार का बड़ा फैसला: TET अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वे TET (Teacher Eligibility Test) अनिवार्यता के सुप्रीम कोर्ट आदेश का रिवीजन दाखिल करें। यह कदम उन लगभग दो लाख शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है, जिनकी नौकरी सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद खतरे में थी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण दिया गया है, इसलिए उनकी योग्यता और सेवा के वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।

इस निर्णय के बाद शिक्षकों में उम्मीद की लहर है। प्रदेशव्यापी विरोध के बीच यह कदम शिक्षा विभाग और सरकार की ओर से शिक्षक हितों की सुरक्षा का संकेत है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, जिन शिक्षकों की सेवा में अगले पांच साल बचे हैं, उनके लिए टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य थी। रिवीजन दाखिल करने से इन शिक्षकों की नौकरी पर असर कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

शिक्षक विरोध और ज्ञापन अभियान

टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ प्रदेश के शिक्षक सक्रिय रहे। वे सभी जिलों में जिलाधिकारी कार्यालयों पर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन देने वाले थे। शिक्षकों की मांग थी कि TET की अनिवार्यता खत्म की जाए और उनके वर्षों के अनुभव और सेवा को सम्मानित किया जाए।

इस विरोध ने सरकार और शिक्षा विभाग पर दबाव बढ़ाया, जिससे सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन दाखिल करने का फैसला लिया गया। यह कदम शिक्षक समुदाय में संतुलन बनाने और विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के उद्देश्य से उठाया गया।

मुख्यमंत्री का बयान और शिक्षक समर्थक दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक अनुभवी हैं और उनका अनुभव, योग्यता और सेवा वर्षों में योगदान मूल्यवान है। यह निर्णय उनके पेशेवर सम्मान और करियर सुरक्षा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि यह कदम शिक्षक हित में है और उनका भविष्य सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया।

सरकार की यह पहल शिक्षकों के लिए राहत प्रदान करती है और यह संदेश देती है कि उनकी समस्याओं और मांगों को गंभीरता से लिया जा रहा है।

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