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घरों की कीमतों ने खरीदारों की बढ़ाई चिंता, दो साल में 50% बढ़े दाम

घरों की कीमतों ने खरीदारों की बढ़ाई चिंता, दो साल में 50% बढ़े दाम

एनारॉक सर्वे के अनुसार भारत में 81% घर खरीदने वालों को बढ़ती कीमतों से परेशानी है। पिछले दो साल में औसत आवासीय कीमतें 50% बढ़कर 8,990 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई हैं। खरीदार क्वालिटी, साइज और लोकेशन से नाखुश हैं। रेडी-टू-मूव घरों की डिमांड भी घट रही है, जबकि प्रीमियम और लक्जरी प्रॉपर्टी की ओर रुचि बढ़ी है।

Rising home prices: जनवरी से जून 2025 के बीच एनारॉक द्वारा किए गए सर्वे में 14 शहरों के 8,250 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष 7 शहरों में औसत आवासीय कीमतें 2023 की दूसरी तिमाही के 6,001 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 2025 की दूसरी तिमाही में 8,990 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। खरीदारों का 90% कहना है कि प्रोजेक्ट की क्वालिटी खराब है, 77% का कहना है कि घरों का साइज छोटा है, और 92% लोकेशन से नाखुश हैं। साथ ही रेडी-टू-मूव घरों की डिमांड में गिरावट और किफायती आवास की सप्लाई में कमी देखी गई।

घरों की बढ़ती कीमतें

सर्वे जनवरी से जून 2025 के बीच किया गया और इसमें 14 शहरों में रहने वाले 8,250 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्रमुख 7 शहरों में औसत आवासीय कीमतें 2023 की दूसरी तिमाही में 6,001 रुपये प्रति वर्ग फुट थीं, जो 2025 की दूसरी तिमाही तक बढ़कर 8,990 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ दो साल में कीमतों में लगभग 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

खरीदारों की असंतुष्टि

सर्वे में यह भी सामने आया कि किफायती आवास के 62 फीसदी इच्छुक खरीदार वर्तमान विकल्पों से संतुष्ट नहीं हैं। 92 फीसदी खरीदार परियोजना के लोकेशन से नाखुश हैं। इसके अलावा, 90 फीसदी लोगों का मानना है कि इन प्रोजेक्ट्स की क्वालिटी खराब है और डिजाइन भी उम्मीद के अनुसार नहीं है। 77 फीसदी लोगों को लगता है कि घरों का आकार उनकी जरूरत के हिसाब से बहुत छोटा है।

एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा कि शहर-वार रुझान दर्शाते हैं कि विभिन्न शहरों में आवासीय संपत्ति चाहने वाले अपने शहरों में बढ़ती कीमतों को लेकर बेहद चिंतित हैं।

किफायती आवास की सप्लाई में कमी

एनारॉक के आंकड़ों के अनुसार, 2020 की इसी अवधि में किफायती आवास की सप्लाई 40% थी, जो 2025 की पहली छमाही में घटकर 17% रह गई है। इसके अलावा, शीर्ष 7 शहरों में किफायती आवास की नई सप्लाई 2023 की पहली छमाही में 18% थी, जो 2025 की पहली छमाही में घटकर 12% रह गई है। 2019 में नए लॉन्च में इसकी हिस्सेदारी 40% थी।

खरीदारों की पसंद और बजट

सर्वे में यह भी देखा गया कि 36% से अधिक संभावित घर खरीदारों के लिए 90 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक की कीमत वाला घर सबसे पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है। यह प्रीमियम और लक्जरी संपत्तियों की ओर मजबूत रुझान दर्शाता है। वहीं 25% लोग 45 लाख रुपये से 90 लाख रुपये तक की कीमत वाले घरों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

रेडी-टू-मूव घरों की मांग में गिरावट

H1 2025 के सर्वे में यह भी सामने आया कि रेडी-टू-मूव घरों की मांग घट रही है। नए लॉन्च और रेडी-टू-मूव घरों की मांग का अनुपात H1 2025 में 16:29 था। जबकि H1 2024 में यह अनुपात 20:25 था। 2020 और 2021 में यह अनुपात क्रमशः 46:18 और 32:21 था। यह संकेत देता है कि खरीदार अब नए और प्रीमियम प्रोजेक्ट्स की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।

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