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स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025: लखनऊ की रैंकिंग में आई बड़ी गिरावट, जानिए क्या है कारण

स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025: लखनऊ की रैंकिंग में आई बड़ी गिरावट, जानिए क्या है कारण

स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में लखनऊ को बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, जो पहले चौथे स्थान पर रही थी, इस बार 15वें स्थान पर खिसक गई है। यह गिरावट शहर की पर्यावरणीय सेहत पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पर्यावरणीय स्थिति इस बार स्वच्छ वायु सर्वेक्षण–2025 में निराशाजनक रही। 10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों में लखनऊ 15वें स्थान पर खिसक गया, जो पिछले साल के चौथे स्थान से 10 पायदान नीचे है। शहर को इस बार कुल 200 में से 179 अंक मिले, जबकि पिछले वर्ष यह 189 अंक के साथ शीर्ष पर था। यह गिरावट शहर की बढ़ती प्रदूषण समस्या और पर्यावरण प्रबंधन में ढिलाई को दर्शाती है।

वहीं, तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों में रायबरेली ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 7वां स्थान प्राप्त किया। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कराया जाता है। इसमें शहरों का मूल्यांकन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सड़क की धूल नियंत्रण, वाहन उत्सर्जन और औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के प्रयासों के आधार पर किया जाता है।

लखनऊ का प्रदर्शन और गिरावट के कारण

स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 का आयोजन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत कराया गया। इसमें शहरों का मूल्यांकन कई मानकों पर किया जाता है, जैसे—

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
  • सड़क धूल नियंत्रण
  • वाहन उत्सर्जन पर रोकथाम
  • औद्योगिक प्रदूषण में कमी

इन मानकों पर लखनऊ नगर निगम सहित आरटीओ, एलडीए, और ग्रीन गैस जैसे अन्य संबंधित विभागों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता थी। लेकिन, नगर निगम के पर्यावरण अधिकारियों का कहना है कि प्रभावी कार्ययोजना और समन्वय के अभाव के कारण शहर की रैंकिंग प्रभावित हुई। यही नहीं, अन्य विभागों की लापरवाही भी इस गिरावट का बड़ा कारण बनी है।

रायबरेली का बेहतर प्रदर्शन

इसके उलट, तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में रायबरेली ने शानदार प्रदर्शन किया है। रायबरेली ने 7वां स्थान हासिल कर दिखाया कि छोटे शहर भी स्वच्छ वायु प्रबंधन में प्रभावी पहल कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन, जनभागीदारी और नीतिगत कार्यान्वयन का सकारात्मक असर साफ हवा की उपलब्धता में पड़ता है।

लखनऊ की गिरावट की पृष्ठभूमि में इसका ऐतिहासिक प्रदर्शन भी उल्लेखनीय है। साल 2022 में लखनऊ ने 177.7 अंक हासिल करते हुए देशभर में शीर्ष स्थान प्राप्त किया था। तब शहर ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण में बेहतरीन कार्य किए थे। हालांकि, 2023 में शहर पुराने कचरे के लगभग 20 टन जमा होने के कारण सर्वेक्षण से बाहर रहने का निर्णय कर चुका था। वहीं, 2024 में भी शहर अपेक्षाओं के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाया।

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