ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट 2025 में ₹72,000 करोड़ की लागत और 30 साल की टाइमलाइन है। कांग्रेस ने पर्यावरण और आदिवासियों के असर पर चिंता जताई, जबकि भाजपा ने इसे भारत के रणनीतिक हितों के लिए जरूरी बताया।
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट 2025: ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट भारत की सबसे महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में से एक है। नीति आयोग ने 2021 में इस प्रोजेक्ट को प्रस्तावित किया था। यह परियोजना निकोबार आइलैंड के दक्षिणी छोर पर स्थित है और इसे पूरा करने के लिए अनुमानित लागत लगभग ₹72,000 करोड़ है। प्रोजेक्ट की टाइमलाइन 30 साल रखी गई है। इसका उद्देश्य आइलैंड को ग्लोबल ट्रेड, ट्रांसपोर्टेशन और टूरिज्म का सेंटर बनाना है। इसके अंतर्गत पोर्ट, एयरपोर्ट और टाउनशिप डेवलपमेंट जैसी कई सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
पोर्ट और एयरपोर्ट डेवलपमेंट
इस प्रोजेक्ट में गैलेथिया-बे में एक अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल बनाया जाएगा, जो ग्लोबल ट्रेड रूट को मजबूत करेगा। इसके अलावा एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण होगा, जिससे आइलैंड की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। टाउनशिप डेवलपमेंट में लगभग 3-4 लाख लोगों के लिए रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल और इंस्टीट्यूशनल सेक्टर बनाए जाएंगे। इसमें स्मार्ट सिटी जैसी आधुनिक सुविधाएं भी शामिल होंगी। साथ ही सोलर प्लांट स्थापित किया जाएगा जो ग्रीन एनर्जी मुहैया कराएगा।
अब तक हुए काम
प्रोजेक्ट चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है। अप्रैल 2025 में NTPC ने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए बोली आमंत्रित की थी। सितंबर 2024 में गैलेथिया-बे को मेजर पोर्ट घोषित किया गया। टाउनशिप डेवलपमेंट के लिए पेड़ों की गिनती और कटाई का काम भी जारी है। पर्यावरणीय मंजूरी नवंबर 2022 में मिल चुकी है और प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग के लिए ₹80 करोड़ का फंड आवंटित किया जा चुका है। इस परियोजना में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है और चरणबद्ध विकास जारी है।
कांग्रेस की चिंता
कांग्रेस ने इस प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने द हिंदू में प्रकाशित आर्टिकल में चिंता जताई कि यह परियोजना आइलैंड के आदिवासी समुदायों और उनके अस्तित्व के लिए खतरा है। सोनिया गांधी के अनुसार यह परियोजना वनस्पतियों और जीवों के ईकोसिस्टम पर भी बड़ा असर डाल सकती है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने भी सरकार को घेरा है। कांग्रेस का कहना है कि परियोजना की रणनीति और पर्यावरणीय प्रभावों पर गंभीर विचार किए बिना इसे आगे बढ़ाना सही नहीं है।
भाजपा का पक्ष
भाजपा प्रवक्ता अनिल के. एंटनी ने कांग्रेस पर पलटवार किया और कहा कि ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट भारत के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक हितों को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। एनिल के अनुसार, निकोबार आइलैंड इंडोनेशिया से 150 मील से भी कम दूरी पर, मलक्का स्ट्रेट के पश्चिमी प्रवेश द्वार के पास स्थित है। यह क्षेत्र दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री चेकपॉइंट्स में से एक है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत की नौसैनिक क्षमता और पावर प्रोजेक्शन मजबूत होगी और इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में संचालन के लिए महत्वपूर्ण संपत्ति उपलब्ध होगी।
प्रोजेक्ट के लाभ
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत करने में मदद करेगा। यह आइलैंड के विकास में भी योगदान देगा और ग्लोबल ट्रेड और पोर्ट कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। टूरिज्म और रियल एस्टेट सेक्टर को फायदा मिलेगा। टाउनशिप डेवलपमेंट से लाखों लोगों के लिए आवास और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ग्रीन एनर्जी और सोलर प्लांट के जरिए पर्यावरणीय लाभ भी होंगे।