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‘हिम्मत का मतलब निडरता नहीं…’, सोना मोहापात्रा ने सांझा की जीवन और संघर्ष की कहानी

‘हिम्मत का मतलब निडरता नहीं…’, सोना मोहापात्रा ने सांझा की जीवन और संघर्ष की कहानी

जब भारत में मी टू आंदोलन शुरू हुआ था, मैं उन चुनिंदा कलाकारों में से थी जिन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में इस मुद्दे पर खुलकर अपनी आवाज उठाई। उस समय मैं एक टीवी शो की जज थी और 18 एपिसोड शूट कर चुकी थी। 

एंटरटेनमेंट न्यूज़: नवरात्रि के तीसरे दिन, जब माता चंद्रघण्टा की पूजा होती है – जो साहस, बहादुरी और निर्भीकता का प्रतीक मानी जाती हैं – गायिका और कलाकार सोना मोहापात्रा ने अपने जीवन और संघर्ष की कहानी साझा की। अमर उजाला की इस Navratri Special सीरीज में वह उन कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने समाज और कला में अपनी आवाज उठाने के लिए चुनौतियों का सामना किया।

मी-टू आंदोलन और बॉलीवुड में हिम्मत

सोना मोहापात्रा बताती हैं कि जब भारत में मी-टू आंदोलन शुरू हुआ, तो उन्होंने बॉलीवुड में इस मुद्दे पर खुलकर बात की। ‘मैं उस समय एक टीवी शो की जज थी और 18 एपिसोड शूट कर चुकी थी। जैसे ही मैंने आवाज उठाई, मुझे शो से बहिष्कृत कर दिया गया। कई सालों तक मुझे बड़ा काम नहीं मिला। लेकिन यह जरूरी था। 

मेरी आवाज ने वह चर्चा शुरू की जो लंबे समय से अपेक्षित थी।’ उनके इस साहस ने न केवल महिलाओं के लिए काम करने की जगहों को सुरक्षित बनाया, बल्कि इंडस्ट्री में बदलाव की दिशा भी तय की।

हिम्मत का मतलब निडर होना नहीं

अपने कॉलेज के दिनों का एक अनुभव साझा करते हुए सोना ने कहा कि हिम्मत का मतलब सिर्फ निडरता नहीं, बल्कि सही समय पर सही बात के लिए खड़ा होना है। ‘‘मैं एक बस में सफर कर रही थी, जहां एक आदिवासी जोड़े से ज्यादा किराया वसूला जा रहा था। मैंने दखल दिया और कंडक्टर को यह जताया कि मैं पत्रकार हूं। उस दिन मुझे समझ आया कि असली हिम्मत तब होती है जब किसी की इज्जत दांव पर हो।’

सोना का मानना है कि असली साहस रोजमर्रा की मेहनत और अपने सिद्धांतों पर डटे रहना है। ‘‘हर दिन अपनी सच्चाई के साथ खड़ा रहना, चाहे मुश्किल या असुविधाजनक क्यों न हो। यही मेरी प्रेरणा है।’

उनके गाने और शो समाज में विचारों को जागृत करने का जरिया बन गए हैं। ‘मुझे क्या बेचेगा रुपैया’ महिलाओं और पुरुषों के सशक्तिकरण का संदेश देती है। ‘रंगाबती’ ने ओडिशा की लोककला को वैश्विक मंच पर पहुंचाया। ‘बेखौफ’ महिलाओं को अपनी आजादी और जगह हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। सोना ने तीन ओरिजिनल लाइव फॉर्मैट्स – लाल परी मस्तानी, TSONAMI और सोना तराशा – भी तैयार किए हैं, ताकि वह बॉलीवुड पर निर्भर न रहें और इंडिपेंडेंट राह अपना सकें।

महिला सशक्तिकरण और इंडस्ट्री में बदलाव

सोना बताती हैं, ‘भारत में महिलाओं को अक्सर सिर्फ खूबसूरत परफॉर्मर के रूप में देखा जाता है, कभी प्रोड्यूसर या रचनाकार के रूप में नहीं। मैं अपने शो के माध्यम से नए मौके बना रही हूं और दूसरों के लिए रास्ता आसान कर रही हूं।’ उनका मानना है कि संगीत, नृत्य और कहानी समाज में सोच बदल सकते हैं और नए संवाद खोल सकते हैं। ‘सच्ची खुशी केवल गायिका बनने में नहीं, बल्कि एक कलाकार बनने में है, जिसकी कला समाज को चुनौती देती है और समय की झलक दिखाती है।’

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