Columbus

जम्मू-कश्मीर: 650 साल पुराने झिड़ी मेला का भव्य शुभारंभ, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया उद्घाटन

जम्मू-कश्मीर: 650 साल पुराने झिड़ी मेला का भव्य शुभारंभ, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया उद्घाटन

उत्तर भारत का सबसे बड़ा और 650 साल पुराना झिड़ी मेला मंगलवार से शुरू हो गया। इसका शुभारंभ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया। यह धार्मिक उत्सव 16वीं शताब्दी के किसान संत बाबा जित्तो (बाबा जित्तमल) और उनकी बेटी बुआ कौड़ी के बलिदान की याद में आयोजित किया जाता है।

जम्मू: उत्तर भारत का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव, झिड़ी मेला, मंगलवार से जम्मू-कश्मीर में भव्य रूप से शुरू हो गया। 650 साल पुराने इस ऐतिहासिक मेले का उद्घाटन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया। मेला 16वीं शताब्दी के किसान संत बाबा जित्तो (बाबा जित्तमल) और उनकी बेटी बुआ कौड़ी के बलिदान की याद में आयोजित किया जाता है और इसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

पहले दिन ही लगभग 12,000 श्रद्धालुओं ने बाबा जित्तो के दर पर माथा टेका और उनके योगदान को याद किया। उपराज्यपाल ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों से निस्वार्थ सेवा और न्यायपूर्ण समाज निर्माण की प्रेरणा लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, हम सब मिलकर एक मजबूत, सुरक्षित, समृद्ध और आत्मनिर्भर जम्मू-कश्मीर का निर्माण कर सकते हैं।

उपराज्यपाल ने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया

मेले के शुभारंभ के मौके पर उपराज्यपाल ने सामुदायिक भवन और चार मॉड्यूलर बस स्टॉप का उद्घाटन भी किया। ये बस स्टॉप झिड़ी चौक, राजपुरा चौक, बाबा तालाब चौक और कानाचक चौक पर बनाए गए हैं। इसके अलावा, उन्होंने मढ़ में सीएसआर के तहत पहले इनडोर खेल परिसर की आधारशिला भी रखी।

ये परियोजनाएं स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए की गई हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि इस तरह की पहल सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को मजबूत बनाती हैं।

मेला: धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का संगम

झिड़ी मेला हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह मेला पर्यटन निदेशालय और जिला प्रशासन के सहयोग से 4 से 13 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। मेला में कृषि से जुड़े स्टॉल, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, खान-पान और मनोरंजन के व्यापक स्टॉल लगाए गए हैं। हर दिन मेले में नई जीवंतता देखने को मिलती है। मेला न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह स्थानीय कारीगरों और व्यवसायियों के लिए भी आय का स्रोत है।

झिड़ी मेला न केवल जम्मू संभाग के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से भी लोग बाबा जित्तो के बलिदान को याद करने के लिए इस मेले में आते हैं। हर साल मेले में 10 से 12 लाख लोग हिस्सा लेते हैं। इस वर्ष भी आयोजकों ने सुरक्षा और सुविधा का विशेष इंतजाम किया है, ताकि श्रद्धालु और पर्यटक सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से मेले का आनंद ले सकें।

झिड़ी मेला बाबा जित्तो और उनकी बेटी बुआ कौड़ी के बलिदान की याद में आयोजित किया जाता है। ये किसान संत समाज में न्याय, सेवा और संघर्ष के प्रतीक माने जाते हैं। श्रद्धालु यहाँ उनकी सीख और आदर्श को याद करते हुए समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने का संकल्प लेते हैं।

 

Leave a comment