उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में लगातार बारिश न होने और नहरों में पानी न आने की समस्या ने किसानी को बुरी तरह प्रभावित कर रखा है। गाँव-गाँव से यह खबर आ रही है कि किसानों की धान, मक्का, सब्जी और अन्य खरीफ फसलें पानी के अभाव या गहरी सूख-ग्रस्त स्थिति में हैं।
समस्या की जड़: नमी की कमी और नहर सूखना
स्थानीय किसान बताते हैं कि लंबे समय से बारिश नहीं हुई है, जिससे खेतों की मिट्टी में नमी घट चुकी है और पौधे मुरझाने लगे हैं। नहरें और झरने जो सिंचाई का मुख्य स्रोत रहे हैं, अब सूखने लगे हैं या उनमें पानी नहीं आता। इससे सिंचाई की व्यवस्था ठप हो गई है।
विशेष रूप से “हेड से टेल तक” पानी न पहुँचने की शिकायत किसानों द्वारा लगातार की जा रही है — अर्थात नहरों की सफाई-रखरखाव या जलप्रबंधन प्रणाली में खामियाँ। छोटे किसानों के लिए यह समस्या और बड़ी है क्योंकि वे पंप सेट या अन्य सिंचाई उपकरण नहीं चला पाते, विशेषकर जब बिजली या डीजल महंगा हो।
फसलों को पहुंचा नुकसान
फसल — जो खरीफ सीज़न में है — अधिक प्रभावित हुई है। कई क्षेत्रों में “अगाती” (जलभराव-संवेदनशील) किस्में बारिश के अभाव में सूख चुकी हैं। पानी कम होने से खेतों में नमी न रहना और पौधे कमजोर पड़ना — इन दोनों परिस्थितियों का संयोजन फसल के बायोमास विकास (उगने की क्षमता) को बाधित कर देता है।
किसानों का कहना है कि लागत पहले से ही बढ़ चुकी है — बीज, उर्वरक, मजदूरी सभी महंगे हैं — और यदि उत्पादन कम हुआ तो उनका निवेश डूब सकता है। कई किसानों ने अपेक्षा जताई है कि सरकार क्षेत्र को “सूखाग्रस्त घोषित” करे और उन्हें मुआवजा मिले।