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Monsoon Session: संसद में नहीं मिली बोलने की अनुमति, राहुल गांधी ने उठाए लोकतंत्र पर सवाल

Monsoon Session: संसद में नहीं मिली बोलने की अनुमति, राहुल गांधी ने उठाए लोकतंत्र पर सवाल

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया गया। विपक्ष ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग की, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई और दो बार स्थगित करनी पड़ी।

Monsoon Session: संसद का मॉनसून सत्र एक बार फिर हंगामे के चलते बाधित हुआ है। सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की मांग की। विपक्ष के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन की कार्यवाही बाधित कर दी। इसके कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की नाराजगी

हंगामे के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी गई जबकि सत्ता पक्ष के नेताओं को पूरा मौका मिलता है।

राहुल गांधी ने कहा, “सवाल यह है कि हाउस में रक्षा मंत्री को बोलने देते हैं, उनके लोगों को बोलने देते हैं, मगर विपक्ष का कोई कुछ कहना चाहता है तो उसकी अनुमति नहीं है। मैं नेता प्रतिपक्ष हूं। मेरा हक है। मुझे तो कभी बोलने ही नहीं देते।”

“हम दो शब्द कहना चाहते थे...”

राहुल गांधी ने आगे कहा, “हम दो शब्द कहना चाहते थे लेकिन विपक्ष को इसकी अनुमति नहीं दी गई। यह एक नया अप्रोच है। नियम कहता है कि अगर सरकार के लोग कुछ बोलें तो विपक्ष को भी जवाब देने का स्पेस मिलना चाहिए।” उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मूल भावना यही है कि हर पक्ष की बात सुनी जाए। “मैं कोई विशेषाधिकार नहीं मांग रहा हूं, सिर्फ वही हक जो नियम और लोकतंत्र मुझे देता है।”

प्रियंका गांधी का समर्थन

राहुल गांधी की बात का समर्थन करते हुए प्रियंका गांधी ने भी मीडिया से कहा कि, “एक नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी को पूरा अधिकार है कि वो सदन में अपनी बात रखें। उन्हें बोलने का मौका मिलना चाहिए था।”

हंगामे के कारण बार-बार स्थगित हुई कार्यवाही

सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, विपक्षी सांसद वेल में आकर जोरदार नारेबाजी करने लगे। उनका मुख्य जोर पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग पर था। स्पीकर ओम बिरला ने पहले कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित किया। लेकिन जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तब भी हालात नहीं सुधरे। अंततः सदन को दोबारा दोपहर 2 बजे तक स्थगित करना पड़ा।

सरकार की ओर से सफाई और प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से सांसद जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने विपक्ष से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की।

उन्होंने कहा, “देश की जनता देख रही है। देश ने सेना के पराक्रम को देखा है। सरकार चर्चा चाहती है, विपक्ष नहीं चाहता। राहुल गांधी बोलना नहीं चाहते, वो हंगामा करना चाहते हैं। उन्होंने अपने सभी सांसदों को मोबाइल में संदेश भेजकर व्यवधान उत्पन्न करने के लिए कहा।”

रक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सदन में अपनी बात रखते हुए स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर खुलकर चर्चा करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि “लोकतंत्र संवाद से चलता है, बाधा से नहीं। हम विपक्ष की बात सुनना चाहते हैं, लेकिन विपक्ष को भी शांति और व्यवस्था का पालन करना होगा।”

संसद में लोकतांत्रिक संवाद का संकट

इस घटनाक्रम से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या आज की संसद में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। विपक्ष का यह आरोप है कि उन्हें गंभीर मुद्दों पर बोलने नहीं दिया जाता जबकि सत्ता पक्ष के पास पूरी स्वतंत्रता होती है। वहीं सरकार का तर्क है कि विपक्ष केवल हंगामा करना चाहता है, बहस नहीं।

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