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सावन माह का दूसरा मंगला गौरी व्रत कल, जानिए शुभ मुहूर्त और छिपे हुए रहस्य

सावन माह का दूसरा मंगला गौरी व्रत कल, जानिए शुभ मुहूर्त और छिपे हुए रहस्य

सावन का महीना देवी-देवताओं की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। खासतौर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का महत्व इस पूरे महीने में कई गुना बढ़ जाता है। सावन के हर मंगलवार को सुहागन महिलाएं मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए मंगला गौरी व्रत रखती हैं। साल 2025 में सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई को पड़ रहा है, जो कई दृष्टि से बहुत खास है।

इस दिन बन रहे हैं तीन विशेष योग

22 जुलाई का दिन खास इसलिए भी है क्योंकि इस दिन एक नहीं, बल्कि तीन प्रमुख व्रत और तिथि का संगम हो रहा है। पहला, मंगला गौरी व्रत; दूसरा, कामिका एकादशी का पारण; और तीसरा, सावन माह का पहला प्रदोष व्रत। मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत आने से इसे भौम प्रदोष भी कहा जाता है, जो मंगल ग्रह और भगवान शिव से जुड़ा होता है।

ब्राह्म मुहूर्त से लेकर विजय मुहूर्त तक शुभ समय

22 जुलाई को व्रत और पूजा करने के लिए पूरे दिन विशेष समय तय किए गए हैं। ब्राह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 14 मिनट से लेकर 4 बजकर 56 मिनट तक रहेगा, जो दिन की शुरुआत में स्नान और ध्यान के लिए उत्तम माना गया है।
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा, जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से लेकर 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इन समयों में पूजा और संकल्प करने से विशेष फल की प्राप्ति मानी जाती है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व क्या है

मंगला गौरी व्रत को सुहाग की रक्षा और वैवाहिक सुख के लिए विशेष रूप से रखा जाता है। मान्यता है कि जो महिलाएं इस दिन पूरी श्रद्धा से मां पार्वती की पूजा करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।

सिर्फ विवाहित महिलाएं ही नहीं, बल्कि अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को रख सकती हैं। खासतौर पर वे कन्याएं जिनके विवाह में किसी तरह की अड़चन आ रही हो, उन्हें इस दिन मां पार्वती से विशेष प्रार्थना करनी चाहिए।

पूजन की विधि और परंपरा

मंगला गौरी व्रत की सुबह महिलाएं जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पूजा के लिए सफेद या लाल वस्त्र धारण करती हैं। पूजा में हल्दी, कुमकुम, चावल, नारियल, सुपारी, फूल, पंचमेवा, मिठाई और दीपक का उपयोग किया जाता है। मिट्टी या धातु की प्रतिमा बनाकर मां पार्वती की स्थापना की जाती है।

पूजन के दौरान महिलाएं चौमुखी दीपक जलाती हैं और 16 सुहाग की चीजों से मां गौरी को सजाती हैं। इसके बाद कथा सुनने और सुनाने की परंपरा होती है। पूजा के बाद महिलाएं दूसरे दिन उद्यापन करती हैं और व्रत का समापन करती हैं।

कथा सुनने की मान्यता

मंगला गौरी व्रत की कथा में एक ऐसे घर की कहानी होती है, जहां एक लड़की के विवाह में बाधाएं आती हैं। वह लड़की मां गौरी का व्रत रखती है और उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। कथा में यह संदेश दिया गया है कि मां गौरी की कृपा से कोई भी बाधा स्थायी नहीं रहती।

अन्य व्रतों के साथ कैसे मनाएं यह दिन

चूंकि इस दिन कामिका एकादशी व्रत का पारण भी होगा, इसलिए जिन लोगों ने एकादशी का व्रत रखा होगा, वे 22 जुलाई को उसका पारण करेंगे। साथ ही प्रदोष व्रत भी इसी दिन है, जिसे शाम के समय भगवान शिव की विशेष पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस तरह 22 जुलाई को मां गौरी, भगवान विष्णु और भगवान शिव—तीनों की पूजा का शुभ अवसर है।

सावन में मंगला गौरी व्रत की संख्या और तिथि

साल 2025 में सावन माह में कुल 4 मंगलवार पड़ रहे हैं, जिसका मतलब है कि मंगला गौरी व्रत भी चार बार रखा जाएगा। पहला व्रत 15 जुलाई को हो चुका है, दूसरा 22 जुलाई को है, तीसरा व्रत 29 जुलाई को और चौथा व्रत 5 अगस्त को पड़ेगा।

आस्था से जुड़ा त्योहार

मंगला गौरी व्रत केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति में स्त्रियों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। सावन के इस व्रत को महिलाएं अपने घर की समृद्धि, परिवार की सुख-शांति और अपने वैवाहिक जीवन की स्थिरता के लिए करती हैं। पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है और आज भी उतनी ही श्रद्धा से निभाई जाती है।

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