सोमवार की सुबह जब विदेशी मुद्रा बाजार खुला, तो रुपया डॉलर के मुकाबले सीधे 20 पैसे टूट गया। यह गिरावट पिछले एक महीने में सबसे बड़ी बताई जा रही है। रुपया 86.36 के स्तर पर पहुंच गया, जो बीते एक महीने का सबसे निचला स्तर है। जानकारों की मानें तो घरेलू और विदेशी निजी बैंकों द्वारा डॉलर की जबरदस्त खरीदारी ने भारतीय मुद्रा को कमजोर कर दिया है।
डॉलर इंडेक्स में जबरदस्त उछाल
डॉलर इंडेक्स, जो पहले 96 के करीब कारोबार कर रहा था, अब 98.46 तक पहुंच गया है। डॉलर इंडेक्स में इस तेजी का सीधा असर भारतीय रुपए पर पड़ रहा है। इसके अलावा, दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता और ट्रेड टेंशन ने निवेशकों को डॉलर की तरफ मोड़ा है। यही वजह है कि डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है और रुपया कमजोर होता जा रहा है।
कच्चे तेल की कीमतों ने भी डाला दबाव
ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें भी बढ़ रही हैं। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 69.36 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है, जो कुछ समय पहले 66 डॉलर पर थी। भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में से एक है, इसलिए जब तेल महंगा होता है, तो रुपए पर और दबाव बनता है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील की टेंशन
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है। अगर यह डील 1 अगस्त तक नहीं होती है, तो अमेरिका भारत को टैरिफ लेटर भेज सकता है, जैसे वह बाकी देशों को भेजता है। इसका असर भारत के निर्यात और रुपए दोनों पर गहरा पड़ सकता है। ऐसे में व्यापारियों और निवेशकों के बीच डर बना हुआ है, जो रुपए को कमजोर करने का एक और कारण है।
शेयर बाजार का असर भी पड़ा
सोमवार को जब बाजार खुला, तो सेंसेक्स में 150 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली। हालांकि बाद में थोड़ी रिकवरी आई, लेकिन शुरुआती गिरावट का असर रुपए पर पड़ा। निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, और वे फिलहाल सतर्क रुख अपना रहे हैं।
इंटरबैंक मार्केट से आई बड़ी जानकारी
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार को रुपया 86.27 पर खुला था और कुछ ही समय में गिरकर 86.36 के निचले स्तर तक चला गया। शुक्रवार को इसका बंद भाव 86.16 था। यानी सिर्फ एक कारोबारी सत्र में ही 20 पैसे की बड़ी गिरावट देखने को मिली।
23 जून के बाद सबसे कमजोर स्तर
23 जून को रुपया 86.35 के स्तर पर पहुंचा था, जो उस वक्त का निचला स्तर था। लेकिन सोमवार की गिरावट ने उस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया। रुपए की यह कमजोरी अब बाजार और आम लोगों दोनों के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है।
- किन वजहों से टूट रहा है रुपया
- डॉलर इंडेक्स में तेजी
- ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी
- भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील में देरी
- शेयर बाजार की अस्थिरता
विदेशी और घरेलू बैंकों की ओर से डॉलर की बढ़ी मांग
इन सभी वजहों ने मिलकर रुपए की हालत बिगाड़ दी है। विदेशी निवेशक फिलहाल सतर्क हैं और जोखिम उठाने से बच रहे हैं।
जानकारों की राय क्या कहती है
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली का कहना है कि फिलहाल रुपए पर दबाव बना हुआ है। उनका मानना है कि रुपया 85.90 से 86.40 के दायरे में रह सकता है और अगर ट्रेड डील में देरी होती है, तो इसमें और गिरावट आ सकती है।
वहीं सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पाबारी ने कहा कि बाजार में अनिश्चितता का माहौल है और इसी कारण रुपए की कमजोरी बनी हुई है। उन्होंने बताया कि अगर रुपया 86.00 का स्तर पार करता है, तो यह 86.50 से 86.80 के स्तर तक जा सकता है।
डॉलर की डिमांड क्यों बढ़ रही है
भारतीय बाजारों में कंपनियों और बैंकों की ओर से डॉलर की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। खासकर इम्पोर्ट करने वाली कंपनियां डॉलर खरीद रही हैं, ताकि आने वाले समय में उन्हें ज्यादा नुकसान न हो। इसके अलावा, विदेशी निवेशक भी फिलहाल डॉलर को सुरक्षित विकल्प मान रहे हैं, जिससे डॉलर की मांग और ज्यादा बढ़ गई है।
रुपए की चाल अब क्या होगी
बाजार के जानकारों की नजर अब भारत और अमेरिका के बीच होने वाली व्यापारिक बातचीत पर टिकी है। अगर कोई समझौता जल्दी होता है, तो यह रुपए को राहत दे सकता है। लेकिन अगर डील लटकती रही, तो रुपए पर और दबाव पड़ना तय है।
फिलहाल, करेंसी बाजार में सतर्कता का माहौल बना हुआ है और निवेशक हर छोटे-बड़े घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। रुपया कब दोबारा मजबूती पकड़ पाएगा, यह अब ग्लोबल हालात और ट्रेड डील पर ही निर्भर करता है।