NACH 3.0 यानी नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस का नया वर्जन, NPCI (National Payments Corporation of India) द्वारा विकसित एक उन्नत ऑटोमैटिक पेमेंट प्रोसेसिंग सिस्टम है।
टेक्नोलॉजी: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) जुलाई 2025 से डिजिटल पेमेंट सिस्टम में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। NACH (National Automated Clearing House) सिस्टम का नया वर्जन NACH 3.0 जल्द ही लॉन्च होने वाला है, जिससे ऑटोमेटेड पेमेंट, सैलरी ट्रांसफर, ईएमआई और सब्सिडी जैसे ट्रांजैक्शन पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ और सुरक्षित हो जाएंगे।
इस नई तकनीक का उद्देश्य भारत में डिजिटल बैंकिंग को और अधिक सहज, सुरक्षित और यूजर-फ्रेंडली बनाना है। ऐसे समय में जब हर सेक्टर डिजिटल ट्रांजैक्शन की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है, NACH 3.0 आने वाले समय में करोड़ों यूजर्स के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।
क्या है NACH 3.0?
NACH 3.0 दरअसल NACH सिस्टम का एक एडवांस और अपग्रेडेड वर्जन है। वर्तमान में NACH सिस्टम का उपयोग सैलरी, पेंशन, सब्सिडी, SIP, EMI, बिजली-पानी के बिलों और OTT सब्सक्रिप्शन जैसी पेमेंट्स के लिए किया जाता है। यह सिस्टम बैंकों के बीच मास पेमेंट क्लियरिंग का भरोसेमंद माध्यम बन चुका है।
अब NACH 3.0 के ज़रिए इन पेमेंट्स की प्रक्रिया न केवल तेज़ होगी, बल्कि रियल-टाइम जैसी रफ्तार से यूजर के खाते में रकम पहुंच सकेगी। इतना ही नहीं, इससे ऑटो डेबिट पेमेंट जैसे लोन की किस्तें या निवेश की कटौती भी ज्यादा स्मूद होगी।
क्या होंगे NACH 3.0 के प्रमुख बदलाव?
- फास्ट पेमेंट प्रोसेसिंग: अब तक ऑटो डेबिट या सैलरी क्रेडिट में कुछ घंटों का समय लगता था, लेकिन NACH 3.0 के लागू होते ही ये ट्रांजैक्शन कुछ ही मिनटों में प्रोसेस हो सकेंगे। यानी ऑफिस से वेतन जारी होते ही कुछ ही पल में कर्मचारियों के खातों में पैसा पहुंच जाएगा।
- अपग्रेडेड GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस): नई तकनीक में NACH का इंटरफेस भी अपडेट किया गया है। अब यूजर इंटरफेस पहले से ज्यादा तेज, क्लीन और रेस्पॉन्सिव होगा, जिससे पेमेंट से जुड़े सभी ऑपरेशन अधिक आसान और स्पष्ट हो जाएंगे।
- सेल्फ-सर्विस यूजर मैनेजमेंट: अब यूजर बिना बैंक की मदद लिए अपनी पेमेंट सेटिंग्स और ऑटो डेबिट इंस्ट्रक्शन्स को खुद मैनेज कर सकेंगे। यानी बैंक शाखा में लाइन लगाने या कस्टमर केयर कॉल करने की जरूरत नहीं होगी।
एन्हांस्ड सिक्योरिटी प्रोटोकॉल
NACH 3.0 में डेटा और ट्रांजैक्शन सिक्योरिटी को लेकर खास ध्यान रखा गया है:
- सभी फाइलें एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में रहेंगी, यानी कोई भी आपकी पेमेंट डिटेल्स नहीं देख सकेगा।
- मल्टी-फैक्टर ऑथेन्टिकेशन (MFA) से आपके खाते तक पहुंच और अधिक सुरक्षित हो जाएगी।
- ट्रांजैक्शन डेटा के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की संभावना नगण्य हो जाएगी।
किन सेवाओं को मिलेगा सीधा फायदा?
NACH 3.0 से जुड़ने के बाद भारत के बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में कई बदलाव देखे जा सकते हैं:
- कर्मचारी: वेतन का क्रेडिट तत्काल होगा, जिससे इनहैंड सैलरी मिलने में देर नहीं होगी।
- लोन धारक: EMI की ऑटो डेबिट प्रक्रिया पहले से ज्यादा भरोसेमंद और सटीक होगी।
- इंश्योरेंस प्रीमियम: समय पर कटौती और रिन्युअल में देरी नहीं होगी।
- OTT और यूटिलिटी बिल्स: Netflix, Disney+, बिजली-पानी जैसे बिल समय पर ऑटो कट जाएंगे।
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
भारत में डिजिटल पेमेंट्स की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। साल 2024 में UPI, NEFT और RTGS जैसे पेमेंट मोड्स के साथ NACH का उपयोग भी रिकॉर्ड स्तर पर रहा। लेकिन धीरे-धीरे उपयोगकर्ता तेज़ और सुरक्षित प्रणाली की अपेक्षा करने लगे। ऐसे में NACH 3.0 न केवल इन जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि NPCI के डिजिटल इंडिया मिशन को भी गति देगा।
बैंकिंग विशेषज्ञों का मानना है कि NACH 3.0 भारत के भुगतान ढांचे में एक बड़ी छलांग है। जहां पहले एक दिन में सीमित संख्या में ट्रांजैक्शन प्रोसेस होते थे, अब वह आंकड़ा मल्टी-फोल्ड बढ़ सकता है। इसके अलावा, कंपनियों के लिए सैलरी, बोनस या अन्य भुगतान करना अब और भी आसान हो जाएगा।