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नीतीश कुमार को झटका: जेडीयू नेता नवीश नवेंदु का इस्तीफा, सामने आई बड़ी वजह

नीतीश कुमार को झटका: जेडीयू नेता नवीश नवेंदु का इस्तीफा, सामने आई बड़ी वजह

बिहार की सियासत में इन दिनों जमाई पॉलिटिक्स का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि विभिन्न आयोगों में नियुक्तियों के दौरान योग्यता और वरिष्ठता को दरकिनार कर बड़े नेताओं के रिश्तेदारों और खासकर दामादों को तरजीह दी जा रही है। 

पटना: बिहार की राजनीति में जारी 'दामाद युग' की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के समर्पित नेता नवीश कुमार नवेंदु ने आज (19 जून) अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताते हुए योग्यता की अनदेखी और चाटुकारिता की राजनीति का आरोप पार्टी पर लगाया है।

नवीश नवेंदु पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी और अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे थे। इस्तीफे के साथ उन्होंने संगठन के अंदर चल रहे पक्षपात, 'कोटा सिस्टम' और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे आगामी विधानसभा चुनावों से पहले जेडीयू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

इस्तीफे का कारण

नवीश नवेंदु ने अपने इस्तीफे में सीधे तौर पर आयोग, बोर्ड और निगमों में की जा रही नियुक्तियों को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि पिछले 13 वर्षों से पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने के बावजूद, उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा: पार्टी ने जहां-जहां अपने लोगों को नियुक्त किया है, वहां आरएसएस कोटा, दामाद कोटा, मंत्रीजी का कोटा और यहां तक कि पत्नी कोटा तक चला। ऐसे में समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए कोई जगह नहीं बची है।

नवेंदु के इस बयान ने पार्टी की कार्यप्रणाली और नियुक्ति प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब उनके पास पार्टी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

13 साल की मेहनत पर पानी: निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी

नवीश नवेंदु ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात पर जोर दिया कि वो 13 वर्षों से पार्टी के लिए लगातार काम कर रहे थे। बारिश हो या धूप, हर परिस्थिति में पार्टी के फैसलों को ज़मीन पर उतारा, लेकिन जब पद और जिम्मेदारी बांटी गई तो उन्हें किनारे कर दिया गया। उन्होंने लिखा, मैंने पार्टी के सभी कार्यों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया है। लेकिन आज पार्टी में योग्य कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पिछले कुछ समय से यह आरोप लगा रहे हैं कि बिहार सरकार में दामादों और रिश्तेदारों को आयोगों में वरीयता दी जा रही है। नवेंदु का इस्तीफा उनके इन आरोपों को बल देता नजर आ रहा है। तेजस्वी ने कहा था कि “बिहार में अब योग्यता नहीं, सिफारिश से काम होता है। अब हर कोने में ‘रिश्तेदार राजनीति’ का बोलबाला है।

अब नवीश नवेंदु जैसे समर्पित जेडीयू नेताओं का इस्तीफा इन आरोपों को और मजबूत करता है और यह संदेश देता है कि पार्टी के भीतर भी असंतोष की लहर है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, एक अनुभवी और समर्पित नेता का इस तरह पार्टी से नाराज होकर जाना जेडीयू के लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट सकता है और विपक्ष को हमले का नया हथियार मिल गया है।

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