नेपाल में छात्रों का Gen Z आंदोलन हिंसक हुआ। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दिया। कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा, युवा आंदोलन लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और इससे अंततः लोकतंत्र मजबूत होगा।
Nepal: पड़ोसी देश नेपाल में राजनीतिक संकट और छात्र आंदोलन ने देश की राजनीतिक स्थिति को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। राजधानी काठमांडू में छात्र और युवा लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, जो राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की और कई सरकारी अधिकारियों के साथ मारपीट की। इस उबाल के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पोडैल और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। प्रदर्शनकारियों ने वित्त मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा के साथ भी संघर्ष किया।
कांग्रेस नेता उदित राज का बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उदित राज ने नेपाल की राजनीतिक स्थिति पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नेपाल का लोकतंत्र नया नया है और वर्तमान संकट को संक्रमणकाल का हिस्सा माना जाना चाहिए। उदित राज ने कहा कि छात्र और युवाओं का आंदोलन लोकतंत्र के मजबूत होने की प्रक्रिया का हिस्सा है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि, "जो दिख नहीं रहा है उसका भय जरूर है। कुछ ताकतें, जो राजशाही स्थापित करना चाहती हैं, संसाधन और प्रोपेगेंडा के सहारे लोकतंत्र के खिलाफ षड्यंत्र कर सकती हैं।" उदित राज ने छात्रों और युवाओं के आंदोलन को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।
सोशल मीडिया प्रतिबंध से बढ़ा आंदोलन
नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने आंदोलन को और तेज कर दिया। उदित राज ने कहा कि छात्रों और युवाओं की यह प्रतिक्रिया नई पीढ़ी की जागरूकता और लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का संकेत है। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार और शासन में खामियों के कारण भी युवा आंदोलित हैं।
इस पर उन्होंने कहा, "यदि हम चिंतित हैं, तो केवल संकट और भय को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके विपरीत, लोकतंत्र के लिए यह मजबूत संकेत है कि युवा सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।"
लोकतंत्र की मजबूती के संकेत
उदित राज ने यह भी स्पष्ट किया कि नेपाल के वर्तमान संकट के बावजूद अंततः लोकतंत्र मजबूत होगा। उन्होंने यह बताया कि युवा आंदोलन लोकतंत्र के लिए चुनौती नहीं, बल्कि अवसर है। उन्होंने कहा कि यह संक्रमणकाल लोकतंत्र के लिए आवश्यक प्रक्रिया है और इससे न केवल नागरिक जागरूक होंगे, बल्कि लोकतंत्र में सुधार और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि कुछ ताकतें लोकतंत्र के खिलाफ षड्यंत्र कर सकती हैं। लेकिन उनका कहना था कि ऐसी कोशिशों के बावजूद, लोकतंत्र की संस्थाएं और जनसंपर्क प्रणाली इस तरह के प्रयासों का सामना करने में सक्षम हैं।