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नोबेल समिति ने ट्रंप को नहीं दिया पुरस्कार, जनिए क्या है इसके पीछे वजह

नोबेल समिति ने ट्रंप को नहीं दिया पुरस्कार, जनिए क्या है इसके पीछे वजह

2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को मिला। ट्रंप के हक में उम्मीद थी, लेकिन नोबेल समिति ने साहस और लोकतंत्र के संघर्ष को प्राथमिकता दी।

World Update: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से नोबेल शांति पुरस्कार जीतने के लिए लालायित थे। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को सुलझाने का दावा किया और कई बार सार्वजनिक रूप से इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने की इच्छा भी व्यक्त की। उनके डेमोक्रेटिक पूर्ववर्ती बराक ओबामा 2009 में यह पुरस्कार जीत चुके हैं।

2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा नॉर्वे की नोबेल समिति ने की। इस बार पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता और लोकतंत्र कार्यकर्ता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया। ट्रंप के समर्थकों और व्हाइट हाउस में इसे लेकर काफी हलचल देखने को मिली, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस पुरस्कार के हकदार होंगे।

नोबेल समिति ने स्पष्ट किया मानदंड

नॉर्वे की नोबेल समिति ने ट्रंप को पुरस्कार न मिलने को लेकर प्रेस वार्ता में अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि पुरस्कार देने का निर्णय केवल नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा और उनके मूल कार्य पर आधारित होता है। उन्होंने बताया कि समिति साहस और निष्ठा को प्राथमिकता देती है और सभी विजेताओं को इसी आधार पर चुना जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि समिति ने शांति पुरस्कार के संबंध में अभियान और मीडिया प्रचार को देखा है। ट्रंप के नामांकन के लिए रूस, रवांडा, गैबॉन, अज़रबैजान और कंबोडिया समेत कई देशों से पत्र आए थे। इसके अलावा, इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और पाकिस्तान के नेता शहबाज़ शरीफ़ ने भी ट्रंप को इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया था।

ट्रंप के प्रयास

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में कम से कम सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को हल करने का दावा किया। इनमें भारत-पाक, अमेरिका-उत्तर कोरिया और मध्य पूर्व में कुछ विवाद शामिल थे। ट्रंप ने कई बार मीडिया में यह भी कहा कि उनका योगदान वैश्विक शांति स्थापित करने में अहम है।

हालांकि नोबेल समिति ने कहा कि यह पुरस्कार केवल शांति स्थापित करने के दावों पर नहीं दिया जाता, बल्कि असली साहस और निष्ठा पर आधारित होता है। यह निर्णय किसी देश की राजनीतिक दबाव या मीडिया प्रचार से प्रभावित नहीं होता।

मारिया कोरिना मचाडो को पुरस्कार

इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया। मचाडो वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से जनता के अधिकारों की रक्षा की है।

नोबेल समिति ने कहा कि मचाडो की कड़ी मेहनत और लोकतंत्र के लिए उनका संघर्ष उन साहसी नेताओं के उदाहरण के रूप में है, जो दबाव और खतरे के बावजूद अपने देश और लोगों के लिए खड़े रहते हैं। इसके तहत मचाडो को लगभग 1.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार भी दिया जाएगा।

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