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नोएडा पुलिस का बड़ा ऑपरेशन: फर्जी सिम बेचने वालों की धरपकड़ शुरू

नोएडा पुलिस का बड़ा ऑपरेशन: फर्जी सिम बेचने वालों की धरपकड़ शुरू

गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने साइबर अपराधों पर रोक लगाने के लिए ‘ऑपरेशन तलाश’ के तहत सेंट्रल नोएडा के सूरजपुर, बिसरख, बादलपुर समेत कई थाना इलाकों में व्यापक छापेमारी की है। इस अभियान में सिम कार्ड बेचने वाली दुकानों की कड़ी जांच की गई, जहां दुकानदारों से रोजाना बेचे जाने वाले सिम कार्ड का पूरा ब्यौरा मांगा गया। साथ ही, प्वाइंट ऑफ सेल (POS) सिस्टम की सख्त निगरानी के साथ-साथ फिजिकल वेरिफिकेशन को भी प्राथमिकता दी गई ताकि फर्जी सिम कार्ड की बिक्री पर लगाम लगाई जा सके।

साइबर अपराधों की जड़ में फर्जी सिम कार्ड

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि डिजिटल अरेस्ट, फर्जी निवेश, जासूसी, यूपीआई फ्रॉड और फर्जी विज्ञापन जैसे साइबर अपराधों में फर्जी सिम कार्ड का व्यापक रूप से इस्तेमाल हो रहा है। अपराधी सस्ते दामों पर ये फर्जी सिम खरीदकर पूरे देश में धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं। ‘ऑपरेशन तलाश’ का मकसद ऐसे अपराधों की जड़ तक पहुंचकर उन्हें खत्म करना और डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना है।

केवाईसी के नाम पर हो रही धोखाधड़ी

अपर पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था डॉ. राजीव नारायण मिश्र के निर्देश पर हुई जांच में यह भी सामने आया है कि केवाईसी कराने के बहाने ग्राहकों के नाम और पते पर कई फर्जी सिम एक्टिवेट कर दिए जाते हैं। डीलर जानबूझकर पहली बार केवाईसी को फेल दिखाते हैं और फिर उसी प्रक्रिया को दोहराकर दूसरे सिम जारी कर देते हैं, जिसकी ग्राहक को कोई जानकारी नहीं होती। यह फर्जी सिम कार्ड अपराधियों के लिए डिजिटल अपराध करने का जरिया बनता जा रहा है।

हालिया गिरफ्तारियां और पुलिस की चेतावनी

हाल ही में पुलिस ने निवेश और यूपीआई फ्रॉड से जुड़े कई साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि ये अपराधी फर्जी केवाईसी के जरिए सिम कार्ड हासिल कर लोगों के बैंक खातों में सेंधमारी करते थे। तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में सिम कार्ड का दुरुपयोग साइबर अपराधों का मुख्य स्रोत बन गया है। पुलिस की इस कड़ी कार्रवाई से न केवल साइबर सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि सिम कार्ड बिक्री की प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।

अंत में पुलिस जनता से अपील करती है कि वे सिम खरीदते समय पूरी केवाईसी प्रक्रिया और दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच करें, ताकि वे धोखाधड़ी और साइबर अपराधों से सुरक्षित रह सकें।

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