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ओवैसी के नए मोर्चे ने बदला बिहार का राजनीतिक समीकरण, AIMIM ने 35 सीटों पर चुनाव लड़ने का किया एलान

ओवैसी के नए मोर्चे ने बदला बिहार का राजनीतिक समीकरण, AIMIM ने 35 सीटों पर चुनाव लड़ने का किया एलान

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी ने आजाद समाज पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य की अपनी जनता पार्टी के साथ नया मोर्चा बनाया है। AIMIM 35 सीटों पर लड़ेगी। गठबंधन ने सीमांचल में सामाजिक न्याय और बराबरी पर जोर देने की बात कही।

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन और एनडीए के बीच जारी राजनीतिक जंग के बीच अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने नया मोर्चा बना लिया है। इस गठबंधन में आजाद समाज पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य की अपनी जनता पार्टी भी शामिल हुई है। इस ऐलान के बाद बिहार का चुनावी मैदान और दिलचस्प हो गया है।

किशनगंज में गठबंधन का एलान

AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बुधवार को किशनगंज में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नए गठबंधन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मजलिस ने आजाद समाज पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य की अपनी जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उनका कहना था कि यह गठबंधन बिहार में सांप्रदायिक ताकतों को रोकने और जनता के सामने एक नया विकल्प पेश करने के लिए बनाया गया है।

तीनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा

अख्तरुल ईमान ने बताया कि AIMIM बिहार की 35 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आजाद समाज पार्टी 25 सीटों पर जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य की अपनी जनता पार्टी 4 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। ईमान ने कहा कि यह गठबंधन पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतरेगा और जनता के मुद्दों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि तीनों दल मिलकर बिहार की राजनीति में एक नई दिशा देंगे।

उम्मीदवारों के नाम जल्द होंगे घोषित

अख्तरुल ईमान ने कहा कि गठबंधन के तहत सभी उम्मीदवारों के नाम लगभग तय हो चुके हैं और उनका ऐलान देर शाम तक कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि AIMIM की लड़ाई सत्ता हासिल करने की नहीं बल्कि इंसाफ (Justice) और बराबरी (Equality) कायम करने की है। उनका कहना था कि यह गठबंधन उन लोगों के लिए है जो बिहार में सच्चे लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की राजनीति को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

सीमांचल पर फिर से फोकस

AIMIM का ध्यान इस बार भी सीमांचल (Seemanchal) इलाकों पर है, जहां पार्टी पहले से अपनी जड़ें मजबूत कर चुकी है। किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया और अररिया जैसे जिलों में AIMIM का अच्छा असर देखा गया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी इन इलाकों में पार्टी को सफलता मिली थी। ओवैसी की रणनीति इन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में वोट बैंक को मजबूत करना और नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभरना है।

ओवैसी ने आरजेडी पर साधा निशाना

गठबंधन के ऐलान से पहले AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि आरजेडी का मौजूदा नेतृत्व नादान है और उसमें दूरदर्शिता (Vision) की कमी है। ओवैसी ने कहा कि आरजेडी यह सोचती है कि वह अकेले सब कुछ कर लेगी, लेकिन यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मजलिस हमेशा समय से पहले राजनीतिक हवा का रुख समझ लेती है।

"बराबरी की बात होगी तभी बीजेपी को रोका जा सकेगा"

ओवैसी ने कहा कि अगर विपक्षी दल बराबरी की बात करेंगे तभी बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग आज हमें नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, उन्हें चुनाव परिणाम आने पर हमारी ताकत का अंदाज़ा होगा। ओवैसी ने चेतावनी देते हुए कहा कि “हम देख रहे हैं कि तूफान आने वाला है, लेकिन जब ये लोग पानी से भीग जाएंगे तब कहेंगे कि सैलाब आ गया, तब बहुत देर हो जाएगी।”

विपक्षी एकता पर सवाल

ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी ने पहले भी विपक्षी एकता (Opposition Unity) की बात की थी, लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि AIMIM ने हमेशा कोशिश की कि धर्मनिरपेक्ष ताकतें (Secular Forces) एकजुट हों ताकि बीजेपी को चुनौती दी जा सके। लेकिन आरजेडी और कांग्रेस जैसे दलों ने AIMIM को कभी बराबर का साझेदार नहीं माना। ओवैसी के अनुसार अब यह गठबंधन बिहार की राजनीति में उस खाली जगह को भरने का काम करेगा जो विपक्षी एकता की कमी से पैदा हुई है।

ओवैसी का सीमांचल में बढ़ता प्रभाव

AIMIM ने 2020 के चुनाव में सीमांचल क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। पार्टी को पांच सीटें मिली थीं जिनमें किशनगंज सबसे अहम रही। हालांकि बाद में कुछ विधायक आरजेडी में शामिल हो गए, लेकिन AIMIM ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बरकरार रखी। पार्टी की रणनीति मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग (OBC) के वोटों को एकजुट कर तीसरे मोर्चे के रूप में उभरने की है।

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