एमएस स्वामीनाथन सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे इसके लिए कितनी भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
PM Modi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने परोक्ष रूप से इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी सेक्टर के हितों से किसी भी हालत में समझौता नहीं करेगा।
हमारे किसानों का हित सर्वोपरि
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे लिए हमारे किसानों का हित सबसे बड़ी प्राथमिकता है। चाहे इसके लिए देश को कोई भी कीमत चुकानी पड़े, भारत उसके लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि वे खुद इस लड़ाई में खड़े हैं और इसके लिए भारी राजनीतिक या कूटनीतिक कीमत चुकानी भी पड़े तो वे तैयार हैं। उनका सीधा इशारा अमेरिका द्वारा घोषित टैरिफ में बढ़ोतरी की ओर था, जिससे भारत के कृषि उत्पादों पर असर पड़ सकता है।
हम कभी समझौता नहीं करेंगे
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी उद्योग के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि देश के ग्रामीण और कृषि क्षेत्र की आत्मनिर्भरता ही भारत की असली ताकत है और सरकार इसे कमजोर नहीं होने देगी।
स्वामीनाथन से जुड़ाव पर बोले पीएम
एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पुराने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रो. स्वामीनाथन के साथ उनका जुड़ाव कई वर्षों से रहा है। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय राज्य में सूखा, चक्रवात और अन्य आपदाओं के कारण कृषि संकट में थी। उस समय सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) जैसी योजनाओं की शुरुआत की थी, जो बाद में राष्ट्रीय स्तर पर लागू हुई।
गुजरात मॉडल का किया जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात के शुरुआती दिनों में कृषि विकास एक चुनौती थी। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने राज्य में कृषि सुधारों की नींव रखी और जल संरक्षण, सिंचाई, और वैज्ञानिक खेती की दिशा में काम किया।
अमेरिका से व्यापारिक संबंधों में तनाव
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया था, जिसके चलते भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ गया है। इस फैसले से भारत के कृषि, डेयरी और मत्स्य उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।