राज ठाकरे के खिलाफ भड़काऊ भाषण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा, "क्या हाईकोर्ट छुट्टी पर है?" याचिका बाद में वापस ले ली गई।
Raj Thackeray speech Case: राज ठाकरे के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उस समय हलचल मच गई जब चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील से तीखा सवाल किया - "क्या बॉम्बे हाई कोर्ट छुट्टी पर है?" यह टिप्पणी उस वक्त आई जब याचिकाकर्ता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जबकि यह मामला पहले हाई कोर्ट में उठाया जा सकता था।
याचिकाकर्ता कौन हैं और क्या है मामला
उत्तर भारतीय विकास सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर उत्तर भारतीयों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और हिंसा के लिए उकसाने के आरोप लगाए थे।
शुक्ला ने दावा किया कि राज ठाकरे के भाषण के बाद मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी भाषी उत्तर भारतीयों पर हमले हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से धमकियां दी गईं और उनकी पार्टी के कार्यालय पर हमला भी किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट जाने की दी सलाह
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने पहले बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। इसी संदर्भ में चीफ जस्टिस ने कटाक्ष करते हुए पूछा, "क्या बॉम्बे हाई कोर्ट छुट्टी पर है?"
बेंच ने याचिका के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना ही याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की सलाह दी। इसके बाद शुक्ला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली।
क्या हैं याचिका के आरोप
सुनील शुक्ला ने याचिका में यह भी दावा किया कि उन्होंने महाराष्ट्र सरकार, पुलिस प्रमुख, पुलिस कमिश्नर और चुनाव आयोग को इस मुद्दे पर कई शिकायतें दी थीं, लेकिन किसी भी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
शुक्ला के मुताबिक, राज ठाकरे ने 30 मार्च को गुढ़ी पड़वा रैली में हिंदी भाषी उत्तर भारतीयों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था। उसके बाद मुंबई के पवई, वर्सोवा और डी-मार्ट जैसे इलाकों में हिंदी भाषी कर्मचारियों पर हमले हुए।
धमकियों और हमलों का आरोप
याचिका में यह भी कहा गया है कि भाषण से पहले और बाद में शुक्ला को जान से मारने की धमकियां मिलीं। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उन्हें सार्वजनिक रूप से धमकियां दी गईं और 100 से अधिक अनजान नंबरों से उन्हें कॉल्स आए। इसके अलावा 6 अक्टूबर 2024 को करीब 30 एमएनएस कार्यकर्ताओं ने उनकी पार्टी के दफ्तर पर हमला करने की कोशिश की और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
प्रशासनिक कार्रवाई पर उठाए सवाल
शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन और पुलिस ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने बार-बार शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस कारण उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।