राजस्थान की राजनीति में अब तक जहां 'बाबा' यानी मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का नाम चर्चाओं में छाया रहता था, वहीं अब एक नया नाम तेजी से सुर्खियों में आ रहा है, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, जिन्हें उनके समर्थक प्यार से 'काका' कहकर पुकार रहे हैं।
जयपुर: राजस्थान की राजनीति में एक नया नाम सोशल मीडिया की सुर्खियों में है ‘काका’। यह कोई आम उपनाम नहीं, बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को संबोधित किया गया नया नाम है, जिसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने खुद प्रचारित किया है। जहां उनके समर्थक उन्हें काका राम-राम कहकर जननेता के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर विरोधियों की फौज ने भी मोर्चा खोल दिया है।
इस नई सियासी पहचान ने एक ओर जहां भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है, वहीं दूसरी ओर सरकार की नीतियों से नाराज युवाओं ने इसी बहाने अपने मुद्दे भी जोरशोर से उठाने शुरू कर दिए हैं।
‘मुख्यमंत्री कैसा हो? भजनलाल जैसा हो’—वीडियो ने बढ़ाई हलचल
रविवार रात करीब 10:28 बजे, BJP के राजस्थान आधिकारिक हैंडल से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का एक प्रचारात्मक वीडियो शेयर किया गया। इसमें उन्हें 'काका' कहकर संबोधित किया जा रहा है और नारा दिया गया - मुख्यमंत्री कैसा हो? भजनलाल जैसा हो! वीडियो के कैप्शन में भावनात्मक अपील करते हुए लिखा गया, जनता का प्रेम, आशीर्वाद और अपनत्व... मुख्यमंत्री भजनलाल के लिए जन-सेवा ही सर्वोपरि है।
इस वीडियो को 48 हजार से अधिक व्यूज मिल चुके हैं, और प्रतिक्रियाएं भी उतनी ही तीव्रता से सामने आई हैं। समर्थकों के लिए यह भावनात्मक जुड़ाव का क्षण था, जबकि आलोचकों के लिए यह सरकार को घेरने का एक और मौका।
‘बाबा’ के बाद अब ‘काका’: नामों की राजनीति में नया अध्याय
राजस्थान की राजनीति में इससे पहले ‘बाबा’ उपनाम का खूब चलन रहा है, जो भाजपा नेता और मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के लिए इस्तेमाल होता रहा है। अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए ‘काका’ शब्द का प्रयोग होना, राजनीतिक तौर पर एक नया ब्रांडिंग प्रयास माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह नामकरण अभियान जनसंपर्क रणनीति का हिस्सा है, जो जनता से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। ‘काका’ शब्द राजस्थान के ग्रामीण और पारिवारिक परिवेश में विश्वास और स्नेह का प्रतीक माना जाता है।
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और तीखी प्रतिक्रियाएं
भाजपा के इस प्रचार वीडियो के सामने आते ही X (पूर्व में ट्विटर) और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विरोधियों और यूजर्स की तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं।
- यूजर @sunil_seervi01 ने तंज कसते हुए लिखा, प्रेम, अपनत्व और सामंजस्य तो आपकी पार्टी में ही गायब है।
- @callingbharat ने टिप्पणी की, हम भाजपा के वोटर रहे हैं, लेकिन इस बार नहीं मिलेगा वोट।
- @8PMnoCM ने सुझाव देते हुए लिखा, ऐसे नाजुक समय में कॉमेंट सेक्शन बंद करके वीडियो डालना चाहिए था।
- इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि ‘काका’ की लोकप्रियता जितनी तेजी से बढ़ी है, विरोध भी उतनी ही तीव्रता से उमड़ा है।
भर्ती परीक्षाओं पर भड़का आक्रोश: RAS और फर्स्ट ग्रेड मुद्दा बना
- इस वीडियो के साथ एक और बड़ा मुद्दा सोशल मीडिया पर उभरा — भर्ती परीक्षाओं की अनिश्चितता।
- हजारों युवा ट्विटर पर #RAS_MAINS_स्थगित_करो, #First_Grade_स्थगित_करो जैसे हैशटैग्स के जरिए सरकार से नाराजगी जता रहे हैं।
- प्रतियोगी छात्रों का आरोप है कि सरकार ने RAS मेंस परीक्षा और अन्य भर्तियों के टाइमटेबल में पारदर्शिता नहीं दिखाई है।
- हनुमान बेनीवाल जैसे विपक्षी नेता भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं और राजधानी में धरने पर बैठे हैं।
- इस सियासी वीडियो के बहाने युवाओं ने सरकार से अपनी नाराजगी जाहिर करने का बड़ा मंच पा लिया है।
भावनाओं की राजनीति या जमीनी मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ‘काका’ ब्रांडिंग से भाजपा एक इमोशनल नैरेटिव गढ़ना चाहती है, जिससे आमजन का जुड़ाव बढ़ाया जा सके। लेकिन यह कोशिश तभी सफल होगी जब सरकार जमीनी मुद्दों, खासकर बेरोजगारी और शिक्षा से जुड़े मामलों पर ठोस कदम उठाए। वहीं विपक्ष इस ब्रांडिंग को मुद्दों से ध्यान भटकाने का तरीका बता रहा है। उनका कहना है कि यदि मुख्यमंत्री वाकई 'जनता के काका' हैं, तो उन्हें पहले युवाओं की आवाज सुननी चाहिए।