Pune

शिव मंदिर से लौटते वक्त न करें ये आम गलतियां, वरना पूजा का पुण्य हो सकता है व्यर्थ

शिव मंदिर से लौटते वक्त न करें ये आम गलतियां, वरना पूजा का पुण्य हो सकता है व्यर्थ

सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने श्रद्धालु शिव मंदिरों में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष पूजा-पाठ में लगे रहते हैं। मान्यता है कि सावन के दौरान भगवान शिव धरती पर वास करते हैं और अपने भक्तों की भक्ति से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इस कारण मंदिरों में शिवलिंग पर जल चढ़ाने वालों की भीड़ लगातार बनी रहती है।

शिव मंदिर से लौटने के बाद की सावधानियां जरूरी

अधिकतर लोग समझते हैं कि भगवान के दर्शन और विधिपूर्वक पूजा के बाद उन्हें पूरा पुण्यफल मिल जाएगा। लेकिन हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में यह साफ बताया गया है कि मंदिर से लौटने के बाद भी कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। अगर इन बातों की अनदेखी की जाए तो पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।

पूजा के बाद खाली लोटा घर न लाएं

शिव पूजा में जल चढ़ाना एक जरूरी भाग होता है। अक्सर भक्त घर से जल से भरा हुआ लोटा लेकर मंदिर जाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर खाली लोटा घर ले आते हैं। यह एक आम आदत है लेकिन शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना अशुभ होता है। मंदिर से खाली लोटा घर लाने के बजाय उसमें थोड़ी पूजा सामग्री, अक्षत या जल डालकर लाना चाहिए। यह सामग्री शुद्ध मानी जाती है और इससे घर की ऊर्जा भी सकारात्मक बनी रहती है।

मंदिर से लौटकर तुरंत पैर न धोएं

मंदिर जैसे पवित्र स्थानों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। वहां से लौटकर सीधे पैर धोने से वह सकारात्मक ऊर्जा धुल जाती है। इसलिए मंदिर से घर आने के बाद कुछ समय तक अपने शरीर को वैसे ही रहने देना चाहिए, ताकि वह ऊर्जा घर में भी बनी रहे। बाद में स्नान आदि करें तो अच्छा माना जाता है।

पूजा की सामग्री को रखें उचित स्थान पर

मंदिर से लौटने के बाद पूजा में इस्तेमाल की गई वस्तुएं जैसे फूल, अक्षत, जल या प्रसाद को सम्मानपूर्वक स्थान पर रखना जरूरी होता है। कई बार लोग थके होने की वजह से पूजा की वस्तुएं इधर-उधर रख देते हैं, जो शास्त्रों के अनुसार ठीक नहीं है। घर पहुंचते ही सबसे पहले पूजा की सामग्री को साफ जगह पर रखें। बची हुई सामग्री को पेड़-पौधों की जड़ों में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से पूजा का प्रभाव भी बना रहता है और प्रकृति को भी लाभ होता है।

शिवजी की पूजा में छोटी गलतियां पड़ सकती हैं भारी

भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है क्योंकि वे थोड़े से भक्ति भाव से भी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन वहीं अगर पूजा में लापरवाही बरती जाए या कोई गलती हो जाए तो वे जल्दी रुष्ट भी हो सकते हैं। इसलिए सिर्फ मंदिर जाकर पूजा करना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि पूजा से जुड़ी हर प्रक्रिया और उसके बाद के व्यवहार में भी सतर्कता बरतनी जरूरी होती है।

मंदिर से लौटने पर सबसे पहले बांटें प्रसाद

मंदिर से लौटने के बाद घर के सभी सदस्यों में सबसे पहले प्रसाद बांटना चाहिए। यह पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ बांटा जाना चाहिए। यह कार्य पूरा होने के बाद ही किसी अन्य कार्य में हाथ लगाना उचित माना गया है।

शिव पूजा में नीयमों का पालन जरूरी

सावन के महीने में शिव मंदिरों की यात्रा और जलाभिषेक से जुड़े कई नियम होते हैं जिनका उद्देश्य भक्त को अध्यात्म से जोड़ना और उसकी आस्था को और पवित्र बनाना होता है। इस दौरान शुद्ध आचरण, संयमित भोजन और दिनचर्या, और पूजा के बाद के व्यवहार को भी पूजा जितना ही महत्त्व दिया गया है।

इन बातों को बनाएं अपनी दिनचर्या का हिस्सा

मंदिर से लौटते समय यदि भक्त इन छोटे-छोटे नियमों को ध्यान में रखे तो उसकी पूजा अधिक फलदायी बन सकती है। भक्ति भाव के साथ की गई पूजा तभी सफल होती है जब उसका संपूर्ण पालन किया जाए। पवित्रता, श्रद्धा और नियमों का पालन शिव उपासना की आत्मा है। खासकर सावन के पावन महीने में, जब वातावरण भी भक्तिभाव से भरा रहता है, तब इन बातों का विशेष महत्व हो जाता है।

हर भक्त के लिए जानना जरूरी है ये बातें

ये सारे नियम भले ही सामान्य लगें, लेकिन इनके पीछे गहरी धार्मिक भावना और शास्त्रीय आधार छुपा हुआ है। शिव भक्तों को इन पर ध्यान देना चाहिए ताकि उनकी पूजा न केवल शुद्ध हो बल्कि उसका पुण्यफल भी पूर्ण रूप से प्राप्त हो सके। सावन जैसे पावन अवसर पर जब भक्तों की आस्था अपने चरम पर होती है, तब इन नियमों की पालना और भी जरूरी हो जाती है।

Leave a comment