शरद पूर्णिमा 2025, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अमृत जैसी किरणें बरसाता है। धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार, जागरण और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। खीर को चांदनी में रखने की परंपरा भी इसी रात से जुड़ी है।
Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जो पूरे भारत में 29 अक्टूबर की रात को मनाया जाएगा। इस दिन लोग कोजागरी व्रत रखते हैं और रातभर जागरण करते हैं, जिसमें मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा शामिल होती है। धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों इसे स्वास्थ्य, मानसिक शांति और समृद्धि का समय मानते हैं। खास परंपरा के अनुसार, खीर को खुले आसमान में रखकर चांदनी में रखा जाता है, जिससे इसे अमृत तत्व प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
शरद पूर्णिमा की रात क्यों है खास
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, साल की बारह पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा सबसे प्रभावशाली मानी जाती है। यह रात चंद्रमा की पूर्णता का प्रतीक है और इसे अमृत बरसाने वाली रात कहा जाता है। आस्था के अनुसार चंद्रमा की किरणें सीधे शरीर और मन पर असर डालती हैं, जिससे स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन में लाभ मिलता है।
शरद पूर्णिमा का पर्व जागरण और व्रत का समय भी होता है। खासकर महिलाएं इस दिन कोजागरी व्रत रखती हैं और रातभर जागकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करती हैं। यह पूजा घर में समृद्धि और सुख-शांति लाने में सहायक मानी जाती है।
खीर रखने की परंपरा का रहस्य
इस रात खीर बनाने और उसे चांदनी में रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। धार्मिक दृष्टिकोण से कहा जाता है कि इस दिन खीर को खुले में रखने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर में धन-समृद्धि का आगमन होता है। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व होता है, जो जागरण और भक्ति करने वालों को लाभ पहुंचाता है।
विशेष रूप से खीर में दूध और चावल का मिश्रण रखा जाता है। माना जाता है कि यह मिश्रण चांदनी में खुला रखने से अमृतवर्ण प्रभाव ग्रहण करता है। रातभर खीर को खुला रखने के बाद अगले दिन इसे पारिवारिक सदस्यों में वितरित किया जाता है।
विज्ञान भी मानता है चांदनी का असर
शरद पूर्णिमा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। शरद ऋतु में वातावरण साफ और प्रदूषण कम होता है। इस कारण चंद्रमा की किरणें बिना किसी बाधा के पूरी ऊर्जा के साथ धरती तक पहुंचती हैं। इनमें UV और इन्फ्रारेड किरणों का संतुलन होता है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
इसके अलावा, खीर को खुला रखने से उसमें हल्की नमी और चांदनी का असर पड़ता है, जिससे यह और भी पौष्टिक बन जाती है। आयुर्वेद में भी शरद पूर्णिमा की चांदनी को औषधीय माना गया है। कहा जाता है कि यह मानसिक शांति देती है, नींद की समस्या को कम करती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है।
कोजागरी व्रत और जागरण
शरद पूर्णिमा को खासकर महिलाएं व्रत रखकर जागरण करती हैं। रातभर जागकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करना इस दिन का प्रमुख आयोजन होता है। जागरण में भजन-कीर्तन, मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन शामिल होता है। मान्यता है कि इससे घर में दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
इसके अलावा, जागरण के दौरान खीर का वितरण और कन्या पूजन जैसी परंपराएं भी होती हैं। यह पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य और मानसिक लाभ
शरद पूर्णिमा की चांदनी से शरीर और मन को कई प्रकार के लाभ होते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि रात में खुला रहने वाला वातावरण श्वसन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। वहीं, चांदनी में रखी गई खीर पचने में आसान और पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
इस रात का जागरण मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए भी लाभकारी है। लगातार जागने और ध्यान करने से व्यक्ति की मानसिक ऊर्जा बढ़ती है और तनाव कम होता है। आयुर्वेद में इसे प्राकृतिक औषधि के समान माना गया है, जो शरीर को ठंडक देती है और पाचन शक्ति को बढ़ाती है।
शरद पूर्णिमा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
शरद पूर्णिमा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि यह समाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पर्व है। जागरण और व्रत के माध्यम से परिवार के सदस्य और समुदाय के लोग एकत्रित होते हैं। भजन-कीर्तन, कथा वाचन और खीर वितरण जैसी परंपराएं सामाजिक समरसता और सहयोग की भावना को बढ़ाती हैं।
इसके अलावा, बच्चों को इस दिन की पूजा विधि और परंपराओं के बारे में सिखाना सांस्कृतिक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे आने वाली पीढ़ियों में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का संचार होता है।
शरद पूर्णिमा और अमृतवर्षा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात अमृत बरसाती है। इसका प्रभाव सीधे जीवन और स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस रात जागरण, व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। खीर और अन्य प्रसाद चंद्रमा की किरणों के प्रभाव से और अधिक पवित्र और लाभकारी हो जाता है।
मान्यता है कि इस दिन किए गए व्रत और पूजा से घर में दरिद्रता दूर होती है और आने वाले साल में सुख-समृद्धि का वातावरण बनता है। यह पर्व धर्म, स्वास्थ्य और समाज तीनों दृष्टियों से लाभकारी माना जाता है।