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Share Market Opening: सप्ताह के चौथे दिन गिरावट के साथ खुला बाजार

Share Market Opening: सप्ताह के चौथे दिन गिरावट के साथ खुला बाजार

गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत भारी गिरावट के साथ हुई, जहां सेंसेक्स 281 अंक और निफ्टी 110 अंक लुढ़ककर खुले। अमेरिका द्वारा भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा ने बाजार में घबराहट और अनिश्चितता का माहौल बना दिया, जिसके चलते अधिकांश कंपनियों के शेयर लाल निशान में नजर आए।

Share Market: गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत भारी गिरावट के साथ हुई, जब बीएसई सेंसेक्स 281.01 अंक गिरकर 80,262.98 पर और एनएसई निफ्टी 110 अंक फिसलकर 24,464.20 पर खुला। यह गिरावट अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बाद आई, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50% हो गया है। इस फैसले ने वैश्विक निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ा दी है और घरेलू बाजार की धारणा पर नकारात्मक असर डाला है।

बाजार की खुलते ही अधिकांश कंपनियों के शेयर लाल निशान में

आज सुबह जैसे ही बाजार खुला, निवेशकों ने भारी बिकवाली का रुख अपनाया। सेंसेक्स की 30 में से केवल 4 कंपनियों के शेयर ही बढ़त के साथ खुले, जबकि बाकी 26 कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 50 की बात करें तो 50 में से 40 कंपनियों के शेयर लाल निशान में खुले, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वैश्विक परिस्थितियों के कारण बाजार में घबराहट का माहौल है।

मारुति सुजुकी आज सेंसेक्स की सबसे चमकदार कंपनी साबित हुई, जिसके शेयरों में 0.36 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। दूसरी ओर, कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों ने सबसे अधिक 1.21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जो आज के बाजार में सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है।

किन शेयरों ने संभाला बाजार

सेंसेक्स की अन्य कंपनियों में बजाज फिनसर्व के शेयर 0.32 प्रतिशत, आईटीसी के शेयर 0.11 प्रतिशत और एचडीएफसी बैंक के शेयर 0.04 प्रतिशत की हल्की बढ़त के साथ खुले। हालांकि यह बढ़त बाजार को स्थिरता देने के लिए नाकाफी रही।

दूसरी ओर, जिन प्रमुख कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली, उनमें टाटा स्टील (0.98%), अडाणी पोर्ट्स (0.97%), एसबीआई (0.82%), महिंद्रा एंड महिंद्रा (0.61%), रिलायंस इंडस्ट्रीज (0.57%), और बीईएल (0.51%) शामिल हैं। ये सभी कंपनियां अपने-अपने क्षेत्रों की दिग्गज मानी जाती हैं, इसलिए इनकी गिरावट बाजार के समग्र मूड को दर्शाती है।

अब निवेशकों की नजर किस पर है?

भारी गिरावट के बीच निवेशकों की निगाह अब भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की प्रतिक्रिया पर टिकी है। अगर टैरिफ के जवाब में भारत सरकार कोई राहत उपाय या नीति प्रतिक्रिया देती है, तो बाजार में स्थिरता लौट सकती है।

इसके अलावा, निवेशकों को यह भी देखना होगा कि अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव किस हद तक भारतीय आयात और निर्यात को प्रभावित करता है। विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र, ऑटोमोबाइल, स्टील और फार्मा कंपनियों पर इसका असर गहरा हो सकता है।

ट्रंप का टैरिफ असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पहले ही भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू था, जिसे अब मिलाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। यह निर्णय अमेरिका द्वारा भारत के रूस से तेल खरीदने पर आपत्ति जताने के तौर पर देखा जा रहा है।

इस टैरिफ से भारत के तेल आयात की लागत बढ़ेगी, जिससे देश के व्यापार घाटे और मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है। साथ ही, कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ने की संभावना है, जो शेयर बाजार में दबाव का कारण बन रही है।

क्या आगे और गिरावट की संभावना है?

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए बाजार में निकट भविष्य में अस्थिरता बने रहने की संभावना है। अगर अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ता है, तो यह घरेलू कंपनियों के मुनाफे पर असर डाल सकता है और शेयर बाजार में और गिरावट आ सकती है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक निवेशकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि भारत की बुनियादी आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है। लेकिन अल्पकालिक निवेशकों के लिए सतर्कता बरतना जरूरी होगा।

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