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शेयर बाजार में संकट का संकेत? 70 अरब डॉलर इक्विटी फ्लो से घबराए निवेशक

शेयर बाजार में संकट का संकेत? 70 अरब डॉलर इक्विटी फ्लो से घबराए निवेशक

जेफरीज की ग्रीड एंड फियर रिपोर्ट के मुताबिक अगले 12 महीनों में भारतीय शेयर बाजार में 50–70 अरब डॉलर के नए शेयर आ सकते हैं। यह आपूर्ति IPO, प्राइवेट इक्विटी एग्जिट और प्रमोटर हिस्सेदारी बिक्री से होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में अस्थिरता और रिटेल निवेशकों के फंसने का खतरा बढ़ सकता है।

Greed and Fear Report: भारतीय शेयर बाजार के लिए अगले 12 महीने चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं। जेफरीज की नई ग्रीड एंड फियर रिपोर्ट बताती है कि IPO, प्राइवेट इक्विटी और प्रमोटर हिस्सेदारी बिक्री के जरिए 50–70 अरब डॉलर की नई इक्विटी बाजार में आएगी, जो 2019 के मुकाबले दोगुनी है। इससे स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में अस्थिरता बढ़ने की आशंका है। जबकि घरेलू निवेशक और SIP फ्लो अब तक मजबूत रहे हैं, सवाल यह है कि क्या वे इस भारी आपूर्ति के दबाव को झेल पाएंगे।

कहां से आ रही है इतनी इक्विटी

जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले महीनों में यह बड़ी इक्विटी आपूर्ति तीन बड़े रास्तों से आएगी। पहला रास्ता आईपीओ की मजबूत पाइपलाइन है, जहां कई कंपनियां बाजार से फंड जुटाने की तैयारी में हैं। दूसरा, प्राइवेट इक्विटी निवेशक अपने निवेश से बाहर निकलने के लिए हिस्सेदारी बेचेंगे। तीसरा, कई कंपनियों के प्रमोटर अपने शेयरों को बाजार में उतारने वाले हैं। इन तीनों कारणों से अगले साल के भीतर 50 से 70 अरब डॉलर वैल्यू के शेयर बाजार में प्रवेश करेंगे।

2019 के मुकाबले दोगुनी आपूर्ति

अगर इस अनुमान की तुलना 2019 से की जाए, तो यह आपूर्ति लगभग दोगुनी है। 2019 में भारत को वार्षिक आधार पर जितनी इक्विटी मिली थी, अब उसका दोगुना बाजार में आने वाला है। जेफरीज का कहना है कि कंपनियां मौजूदा वैल्यूएशन का फायदा उठाना चाहती हैं। MSCI इंडिया इंडेक्स इस समय 22 गुना आगे की कमाई पर कारोबार कर रहा है। वित्तीय आंकड़ों को छोड़ दें तो यह 25 गुना तक पहुंच चुका है। यानी कंपनियों को लगता है कि अभी शेयर बेचने का सही समय है।

छोटे और मिड-कैप शेयरों पर दबाव

रिपोर्ट का सबसे बड़ा संकेत छोटे और मिड-कैप शेयरों की ओर है। इन शेयरों का वैल्यूएशन पहले से ही अस्थिर है। अब अगर इनमें और नई आपूर्ति आती है, तो निवेशकों के फंसने का खतरा और बढ़ सकता है। ग्‍लोबल अनिश्चितताओं और घरेलू चुनौतियों से भरे इस दौर में मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों पर अतिरिक्त दबाव आ सकता है। यह स्थिति खुदरा निवेशकों की वेल्थ पर असर डाल सकती है।

विदेशी निवेशक बने दबाव की वजह

विदेशी संस्थागत निवेशक यानी एफआईआई बीते कई महीनों से भारतीय बाजार में बिकवाली कर रहे हैं। इस कारण इक्विटी की नई आपूर्ति को संभालने की जिम्मेदारी पूरी तरह घरेलू निवेशकों पर आ गई है। घरेलू निवेशकों की भागीदारी ने अब तक बाजार को संभाले रखा है, लेकिन 70 अरब डॉलर जैसी बड़ी आपूर्ति से हालात बदल सकते हैं। सवाल यह है कि क्या खुदरा निवेशक इस बाढ़ को झेल पाएंगे।

घरेलू निवेशकों की ताकत

जेफरीज ने रिपोर्ट में माना है कि भारतीय बाजार महामारी के बाद से कहीं ज्यादा मजबूत हुए हैं। नए डीमैट खातों की तेजी से बढ़ती संख्या, म्यूचुअल फंड की गहराई और रिटेल निवेशकों की सक्रियता ने बाजार को सहारा दिया है। मंथली एसआईपी फ्लो 3 अरब डॉलर को पार कर चुका है। वित्त वर्ष 26 के पहले पांच महीनों में इक्विटी म्यूचुअल फंड फ्लो 21 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यानी घरेलू निवेशकों की तरफ से अब तक सपोर्ट मजबूत रहा है।

रिपोर्ट का कहना है कि भारत का घरेलू निवेशक आधार काफी मजबूत है, लेकिन असली चुनौती अब आने वाली है। इतनी बड़ी मात्रा में इक्विटी आपूर्ति बाजार में दुर्लभ है। अगर निवेश प्रवाह धीमा पड़ता है या निवेशकों की धारणा बदलती है, तो बाजार में अस्थिरता देखने को मिल सकती है। हालांकि, अब तक खुदरा निवेशकों ने विदेशी बिकवाली का दबाव झेला है और बाजार को मजबूती दी है।

क्या बदलेंगे हालात

जेफरीज का कहना है कि भारतीय इक्विटी बाजार की गहराई पहले की तुलना में कहीं ज्यादा है। बावजूद इसके, आने वाले महीनों में जब 50 से 70 अरब डॉलर के नए शेयर बाजार में आएंगे, तब असली परीक्षा होगी। बाजार की दिशा काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि खुदरा और घरेलू संस्थागत निवेशक इस नई आपूर्ति को कितनी आसानी से समेट पाते हैं।

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