भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोट पाकर शानदार जीत दर्ज की। विपक्षी प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। क्रॉसवोटिंग ने परिणाम पर असर डाला और विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए।
Vice President Election: भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने शानदार जीत दर्ज करते हुए विपक्षी खेमे को करारा झटका दिया। राधाकृष्णन ने कुल 452 वोट हासिल किए, जो जीत के लिए ज़रूरी 392 वोटों से कहीं अधिक थे। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट मिले और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इस नतीजे ने साफ कर दिया कि सत्ता पक्ष न सिर्फ संख्या बल बल्कि रणनीति के लिहाज से भी विपक्ष से आगे रहा। यह चुनाव इसलिए भी अहम था क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जुलाई में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था और उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हो गई थी।
वोटिंग का पूरा गणित

इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं। कुल 788 सीटों में से सात रिक्त थीं, इसलिए 781 सांसदों को मतदान करना था। इनमें एनडीए के पास 427 सांसद थे जबकि विपक्षी दलों के पास 354। विपक्षी खेमे के 354 में से 315 सांसद इंडिया गठबंधन से थे और बाकी 39 सांसद ऐसे दलों के थे जो किसी भी खेमे में शामिल नहीं थे। वोटिंग के दौरान सबसे अहम भूमिका वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने निभाई, जिसके 11 सांसदों ने खुलकर एनडीए के पक्ष में मतदान किया। इससे एनडीए का आंकड़ा सीधे 438 तक पहुंच गया। वहीं, बाकी 39 सांसदों में से बीजेडी के सात, बीआरएस के चार, अकाली दल के एक और दो निर्दलीय सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। इस तरह कुल 14 सांसद मतदान से दूर रहे और कई वोट अमान्य भी घोषित किए गए।
क्रॉसवोटिंग का असर
इस चुनाव में कुल 15 वोट अमान्य करार दिए गए, जिनमें से 10 एनडीए खेमे के और 5 विपक्षी खेमे के थे। इसके बावजूद एनडीए उम्मीदवार को विपक्षी खेमे से भी वोट मिले। क्रॉसवोटिंग का असर इतना बड़ा रहा कि विपक्षी खेमे के लगभग 10 सांसदों ने एनडीए को समर्थन दे दिया। इससे यह साफ हुआ कि विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए हैं और उनके भीतर आपसी मतभेद गहराते जा रहे हैं। एनडीए के लिए यह फायदा का सौदा साबित हुआ क्योंकि उन्होंने विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाकर 452 का मजबूत आंकड़ा हासिल कर लिया।
विपक्ष की रणनीति और एनडीए की तैयारी

विपक्ष ने अपनी एकजुटता का संदेश देने के लिए बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया था, ताकि यह दिखाया जा सके कि इंडिया गठबंधन मिलकर सत्ता पक्ष को चुनौती दे सकता है। लेकिन नतीजों ने उनकी रणनीति की पोल खोल दी। खुद सुदर्शन रेड्डी ने अपील की थी कि सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर वोट करें। यही अपील उनके खिलाफ चली गई क्योंकि कई सांसदों ने इसी बहाने एनडीए को समर्थन दिया। दूसरी ओर, एनडीए ने पहले से ही अपनी तैयारी मजबूत कर रखी थी। उन्होंने न केवल अपने सांसदों को संगठित रखा बल्कि विपक्ष के भीतर भी सेंध लगाई और क्रॉसवोटिंग से बढ़त हासिल कर ली।













