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TikTok विवाद: चीन में डेटा ट्रांसफर पर उठे सवाल, यूरोप ने शुरू की जांच

TikTok विवाद: चीन में डेटा ट्रांसफर पर उठे सवाल, यूरोप ने शुरू की जांच

TikTok पर यूरोपीय यूजर्स का डेटा चीन में ट्रांसफर करने का आरोप है, जिसे लेकर आयरलैंड की डेटा अथॉरिटी ने नई जांच शुरू की है। पहले भी कंपनी पर जुर्माना लग चुका है। अब जांच में GDPR नियमों के उल्लंघन की पुष्टि की जाएगी।

TikTok: एक बार फिर दुनिया का सबसे लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो ऐप TikTok यूरोपीय नियामकों के निशाने पर आ गया है। इस बार मामला बेहद गंभीर है — यूरोपीय नागरिकों का निजी डेटा चीन तक कैसे पहुंचा, इस पर गंभीर सवाल उठे हैं। आयरलैंड की डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी (DPC) ने TikTok के खिलाफ एक नई जांच शुरू की है, जो कंपनी की पुरानी कार्रवाइयों की कड़ी समीक्षा करेगी।

क्या है नया विवाद?

TikTok पर पहले भी प्राइवेसी उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला और गंभीर है। यूरोपीय यूजर डेटा को चीन ट्रांसफर करने के तरीके, नियमों और कानूनी वैधता पर सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, DPC इस जांच के जरिए यह जानना चाहती है कि TikTok ने यूरोपीय डेटा को चीन भेजने से पहले किन सुरक्षा मानकों और वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया।

TikTok ने पहले दावा किया था कि उसका यूरोपीय डेटा चीन में स्टोर नहीं होता, बल्कि वहां के कर्मचारी सिर्फ रिमोट एक्सेस करते हैं। लेकिन हाल ही में सामने आए तथ्यों के अनुसार, कुछ डेटा चीन में स्टोर किया गया, जिसे खुद TikTok ने स्वीकार किया।

पहले भी लग चुका है बड़ा जुर्माना

यह नई जांच कोई अकेली कार्रवाई नहीं है। इससे पहले भी TikTok को साल 2023 में 530 मिलियन यूरो (लगभग 620 मिलियन डॉलर) का जुर्माना भरना पड़ा था। उस समय TikTok पर आरोप था कि उसने बच्चों के डेटा को ठीक से सुरक्षित नहीं किया और उनके डेटा को चीन के कर्मचारियों के द्वारा रिमोटली एक्सेस करने की अनुमति दी। उस जुर्माने के बाद TikTok ने वादा किया था कि वह अपने सिस्टम्स और प्राइवेसी पॉलिसी में सुधार करेगा, लेकिन ताजा मामला बताता है कि समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं।

क्यों है यह मामला इतना गंभीर?

GDPR यूरोपियन यूनियन का सबसे सख्त डेटा प्रोटेक्शन कानून है, जो नागरिकों के डेटा को उनके नियंत्रण में रखने का अधिकार देता है। इसका उल्लंघन करना कानूनी ही नहीं, राजनीतिक स्तर पर भी संवेदनशील बन जाता है। TikTok पर आरोप है कि उसने डेटा को चीन ट्रांसफर करने के पीछे सही कानूनी आधार नहीं दिया और न ही यह स्पष्ट किया कि यूजर्स की प्राइवेसी कैसे सुरक्षित रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि TikTok जैसे ऐप्स के जरिए विदेशी सरकारें – खासकर चीन – संवेदनशील डेटा हासिल कर सकती हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

DPC की भूमिका और नया ऐक्शन

आयरलैंड स्थित डेटा प्रोटेक्शन कमिशन (DPC) यूरोप में TikTok का मुख्य निगरानी निकाय है, क्योंकि TikTok का यूरोपीय मुख्यालय डबलिन में स्थित है। अब DPC की नई जांच में यह परखा जाएगा कि:

  • TikTok ने यूरोपीय डेटा को चीन में किस आधार पर ट्रांसफर किया
  • क्या GDPR के अनुसार वैधता और सुरक्षा उपाय अपनाए गए
  • क्या यूजर्स को उनके डेटा की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी दी गई

DPC ने यह भी कहा है कि TikTok की पूर्ववर्ती गतिविधियों की तुलना में यह जांच कहीं अधिक गहन और तकनीकी होगी।

TikTok की चुप्पी और सवालों के घेरे

TikTok ने अभी तक इस जांच पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि कंपनी पहले यह कहती रही है कि वह 'डेटा प्रोटेक्शन को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है' और 'स्थानीय नियमों का पूरी तरह पालन करती है'। लेकिन TikTok की चुप्पी ने संदेह को और गहरा किया है। टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी अब अपने डिफेंस मोड में है और किसी भी बयान से पहले कानूनी सलाह ले रही है।

क्या हो सकते हैं असर?

अगर DPC की जांच में TikTok दोषी पाया गया, तो:

  • कंपनी पर दोबारा भारी जुर्माना लग सकता है
  • यूरोप में TikTok के संचालन पर नई शर्तें लागू हो सकती हैं
  • अन्य देशों में भी TikTok की डेटा नीति की समीक्षा शुरू हो सकती है
  • यूजर्स का भरोसा और TikTok की साख को बड़ा नुकसान हो सकता है

इसके साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देश, जो पहले ही TikTok को संदेह की नजर से देखते हैं, इस मामले का हवाला देकर और सख्त कदम उठा सकते हैं।

क्या TikTok के लिए बिगड़ता जा रहा है माहौल?

साफ है कि पश्चिमी देशों में TikTok की छवि अब केवल एक मनोरंजन ऐप की नहीं रही। इसके पीछे चीन की कंपनियों की भागीदारी, डेटा नियंत्रण और संभावित जासूसी की आशंका ने इसे राजनैतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले से जोड़ दिया है। यह भी सच है कि TikTok की लोकप्रियता अब भी चरम पर है, लेकिन हर नई जांच और जुर्माना कंपनी की साख को कमजोर करता जा रहा है। खासकर युवा यूजर्स और अभिभावकों में अब प्राइवेसी को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।

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