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टिस्का चोपड़ा ने साझा किया संघर्ष, कहा – 'शक्ति सिर्फ शरीर से नहीं, छोटे फैसलों से बनती है'

टिस्का चोपड़ा ने साझा किया संघर्ष, कहा – 'शक्ति सिर्फ शरीर से नहीं, छोटे फैसलों से बनती है'

इस नवरात्रि हर दिन एक देवी को समर्पित होगा और आज नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी को याद किया जा रहा है, जिन्हें अनुशासन और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा की कहानी, उनके अपने शब्दों में।

एंटरटेनमेंट न्यूज़: अभिनय जीवन हमें लगातार धैर्य और प्रयास का महत्व सिखाता है। जब सभी संकेत आश्वस्त नहीं करते, तब भी खुद पर विश्वास बनाए रखना जरूरी होता है। यदि आप अपनी क्षमता पर भरोसा खो देंगे, तो निरंतर प्रयास और धैर्य बनाए रखना कठिन हो जाता है। मैंने एक सुरक्षित नौकरी छोड़कर अपने अभिनय सपनों का पीछा किया, जो आसान निर्णय नहीं था। 

परिवार और समाज के दबाव, अनिश्चित भविष्य और अन्य चुनौतियों ने मुझे कई बार डरा दिया, लेकिन मेरा जुनून और आत्मविश्वास हमेशा मुझे आगे बढ़ाते रहे। धीरे-धीरे मेरे काम को पहचान मिलने लगी और यह अनुभव हर चुनौती में धैर्य और लगातार प्रयास की शक्ति सिखाता है।

अभिनय जीवन में धैर्य और आत्मविश्वास की भूमिका

टिस्का चोपड़ा का कहना है कि अभिनय ने उन्हें लगातार धैर्य और प्रयास की अहमियत सिखाई। उन्होंने कहा, जब सभी संकेत आपको आश्वस्त नहीं करते, तब खुद पर विश्वास बनाए रखना सीखना पड़ता है। यदि आप अपनी क्षमता पर भरोसा खो देंगे, तो धैर्य और लगातार प्रयास संभव नहीं। टिस्का ने अपने करियर की शुरुआत एक सुरक्षित नौकरी छोड़कर की। यह कदम उनके लिए आसान नहीं था। 

परिवार और समाज के दबाव, अनिश्चित भविष्य, और अन्य कई चुनौतियों ने उन्हें डराया। लेकिन उनका जुनून और आत्मविश्वास उन्हें आगे बढ़ाते रहे। धीरे-धीरे उनके काम को पहचान मिलने लगी। इस अनुभव ने उन्हें हर चुनौती में धैर्य, अनुशासन और लगातार प्रयास का महत्व सिखाया।

छोटे संघर्ष भी बड़े सबक सिखाते हैं

टिस्का ने खुलासा किया कि उनके लिए सबसे बड़ा व्यक्तिगत संघर्ष मिठाई की आदत पर काबू पाना रहा। उन्होंने कहा, मुझे सामान्य तौर पर अनुशासन में कोई समस्या नहीं है, क्योंकि जो काम मैं करती हूं, वह मेरे लिए मजबूरी नहीं, बल्कि मेरा जुनून है। योग, वेट ट्रेनिंग, वॉकिंग, मंत्रों का जाप, पढ़ाई और अभिनय  मैं इन्हें पूरे मन से करती हूं। यह बताता है कि शक्ति केवल शारीरिक मेहनत से नहीं, बल्कि नियमित आदतों और मानसिक अनुशासन से भी बनती है।

टिस्का ने कहा कि वे खुद को सिख और बौद्ध ध्यान का मिश्रण मानती हैं। उन्होंने बताया कि शूटिंग के दौरान सेट पर तनाव या हंगामा होने पर भी वे अपने शॉट पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करती हैं। उनका ध्यान बाकी सभी चीजों को पीछे छोड़ देता है और काम को पूरी निष्ठा और सही तरीके से पूरा करने की शक्ति देता है। यह फोकस और संयम मुझे न केवल शूटिंग में बल्कि जीवन की अन्य चुनौतियों में भी स्थिर और मजबूत बनाए रखता है, उन्होंने साझा किया।

योग, प्राणायाम और मानसिक शांति

टिस्का अपने रोजमर्रा के जीवन में योग, प्राणायाम और मंत्रों का जाप करती हैं। साथ ही नियमित लेखन के जरिए वे मानसिक शांति पाती हैं। पढ़ाई और आत्मचिंतन उन्हें यह समझने में मदद करता है कि हम इस ब्रह्मांड में कितने अद्भुत और साथ ही छोटे हैं। यही समझ उन्हें जमीन पर बनाए रखती है और हर चुनौती का सामना करने की शक्ति देती है।

युवा महिलाओं के लिए प्रेरणादायक संदेश

टिस्का ने युवाओं, विशेषकर महिलाओं के लिए कहा, दुनिया, समाज या खुद से अनुमति का इंतजार मत करें। छोटे कदम से शुरुआत करें, रोजाना एक आदत बनाएं और अपने आप से किया गया एक वादा पूरा करें। शक्ति केवल जिम में नहीं बनती, बल्कि रोजमर्रा के छोटे-छोटे फैसलों में बनती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि शक्ति तब भी बनती है जब आप नहीं कहना चाहते तब ‘ना’ कहना, या जब कोई देख नहीं रहा तब अपने लक्ष्य पर टिके रहना।

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