सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। हालांकि, अदालत ने पूरे कानून को खारिज करने से इनकार किया। इस फैसले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों की जीत करार दिया।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है, जिससे कानून के कुछ विवादास्पद पहलुओं पर न्यायिक नियंत्रण स्थापित हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे संवैधानिक मूल्यों की जीत बताया। उनका कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे मूलभूत संविधानिक सिद्धांतों की रक्षा करता है और सामाजिक हितों की रक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इसे पूरी तरह खारिज करने से इनकार कर दिया। हालांकि, अदालत ने वक्फ कानून के दो प्रावधानों में बदलाव का आदेश दिया है, ताकि उनका दुरुपयोग या संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन न हो। इस फैसले के बाद कानून के अनुपालन और कार्यान्वयन में सुधार की संभावना बढ़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के दो विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाई। इन प्रावधानों के अनुसार, वक्फ बोर्ड के सदस्यों के लिए इस्लाम धर्म का पालन: पहले प्रावधान में कहा गया था कि वक्फ बोर्ड में शामिल होने के लिए सदस्य को कम से कम 5 वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त को अस्वीकार कर दिया।
संपत्ति विवाद का निपटारा जिला कलेक्टर द्वारा: दूसरे प्रावधान के अनुसार, किसी भी संपत्ति के वक्फ में समर्पित होने का निर्णय जिला कलेक्टर करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रावधान भी स्थगित किया। इसके अलावा, अदालत ने वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं हो सकते जैसी सीमा बनाए रखने का निर्देश दिया।
जयराम रमेश ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट शेयर किया। उन्होंने लिखा:
'वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल उन दलों की जीत नहीं है, जिन्होंने संसद में इस मनमाने कानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति नोट्स प्रस्तुत किए थे। वे नोट्स जिन्हें नजरअंदाज किया गया था, अब सही साबित हुए हैं।'
जयराम रमेश ने सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि इस कानून के पीछे की मंशा मतदाता को भड़काना और धार्मिक विवादों को बढ़ावा देना थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस गलत मंशा को काफी हद तक विफल कर देता है।
वक्फ कानून में बदलाव के प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वक्फ कानून में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं:
- वक्फ बोर्ड में सदस्यता: अब किसी व्यक्ति को वक्फ बोर्ड का हिस्सा बनने के लिए 5 वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करना अनिवार्य नहीं है।
- संपत्ति विवाद का निपटारा: जिला कलेक्टर को यह अधिकार नहीं होगा कि कौन सी संपत्ति वक्फ में समर्पित की जाए।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा: वक्फ बोर्ड में 11 सदस्यों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह फैसला वक्फ अधिनियम की संवैधानिकता पर नहीं है। अदालत ने केवल उन प्रावधानों को संशोधित किया है, जो भड़काऊ और असमान परिस्थितियों पैदा कर सकते थे।