भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई ने बुधवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि बनने वाला नया बॉम्बे उच्च न्यायालय परिसर फिजूलखर्ची का उदाहरण नहीं होना चाहिए।
नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई ने बुधवार को मुंबई के बांद्रा (पूर्व) में बनने वाले नए बॉम्बे हाईकोर्ट परिसर की आधारशिला रखते हुए कहा कि यह भवन न्याय का प्रतीक होना चाहिए, न कि शाही ठाट-बाठ का उदाहरण। उन्होंने साफ कहा, “यह न्याय का मंदिर है, कोई सात सितारा होटल नहीं।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में जोर दिया कि न्यायिक ढांचे का निर्माण करते समय दिखावे या फिजूलखर्ची से बचना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह भवन संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करे।
फिजूलखर्ची से बचने की नसीहत
CJI गवई ने अपने भाषण में कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में नई इमारत को लेकर अत्यधिक खर्च और विलासिता की बात कही गई थी। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि “सुनने में आया है कि दो न्यायाधीशों के लिए अलग-अलग लिफ्टें बनाई जा रही हैं। लेकिन अब न्यायाधीश सामंती प्रभु नहीं रहे। हम जनता की सेवा के लिए हैं, न कि उनके ऊपर राज करने के लिए।
उन्होंने आगे कहा कि न्यायिक संस्थानों को समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही बनाया जाना चाहिए। उनका यह संदेश था कि न्यायिक व्यवस्था की गरिमा सादगी में है, न कि भव्यता में।
लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान

CJI गवई ने कहा कि भारत का न्याय तंत्र लोकतंत्र की जड़ों में बसा है, इसलिए नई अदालतों का निर्माण भी उन्हीं मूल्यों को दर्शाना चाहिए। उन्होंने कहा, न्यायपालिका का मकसद जनता की सेवा करना है। हम कोई शाही महल नहीं बना रहे, बल्कि ऐसा स्थान बना रहे हैं जहाँ हर नागरिक को समान रूप से न्याय मिल सके।
उन्होंने कहा कि न्यायालय भवनों की योजना बनाते समय सिर्फ न्यायाधीशों की जरूरतों को नहीं, बल्कि वादियों — यानी आम नागरिकों की सुविधाओं को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
सीजेआई गवई की महाराष्ट्र से भावनात्मक विदाई
मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई, जो इसी महीने 24 नवंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह उनकी महाराष्ट्र की अंतिम आधिकारिक यात्रा है। उन्होंने कहा, मुझे गर्व है कि मैं अपने कार्यकाल के अंत से पहले अपने गृह राज्य में देश के सर्वश्रेष्ठ न्यायिक भवन की आधारशिला रख रहा हूं।
CJI ने यह भी जोड़ा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका — तीनों को संविधान के तहत मिलकर समाज को न्याय और समानता प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की न्यायपालिका जनता के विश्वास पर टिकी है, और उस विश्वास को बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी किया संबोधन
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कार्यक्रम में कहा कि नया बॉम्बे हाईकोर्ट भवन पुराने ऐतिहासिक ढांचे का पूरक होगा, जो 1862 से भारतीय न्यायिक इतिहास का साक्षी रहा है। उन्होंने बताया कि पुराने भवन का निर्माण उस समय मात्र ₹16,000 की लागत से पूरा हुआ था, और ₹300 की बचत भी हुई थी — जो सादगी और जवाबदेही का उदाहरण है।
फडणवीस ने कहा कि नए परिसर के डिजाइन को लोकतांत्रिक और जनसुलभ बनाए रखने का दायित्व प्रसिद्ध वास्तुकार हफीज कॉन्ट्रैक्टर को सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना “लोकतंत्र की भावना” के अनुरूप होगी, न कि किसी साम्राज्यवादी ढांचे जैसी।












